पंजाब, पश्चिम बंगाल व आंध्रप्रदेश में होम स्टेट में पोस्टिंग का नुकसान कम
होम स्टेट में पोस्टिंग पाने वाले आइएएस राजनीतिक दबाव में आसानी से आते हैं
होम स्टेट में काम करने वाले ज्यादातर आइएएस बाद में किसी कंपनी के बोर्ड में शामिल हो जाते हैं
आइएएस अफसर जिन कंपनियों के बोर्ड से जुड़ते हैं उसमें 99 प्रतिशत अनलिस्टेड होती हैं
नयी दिल्ली : भारत में नौकरशाी का प्रदर्शन हमेशा से चिंता की बात रही है. दो दिन पहले प्रधानमंत्री ने आइएएस अफसरों का कार्य प्रदर्शन सुधारने के लिए पिछड़े जिलों में अधिक युवा अफसर भेजने की बात कही है. अब एक नये रिसर्च में आइएएस अफसरों के बारे में चौंकाने वालेतथ्यों का खुलासा हुआ है, जो चिंता में डालने वाली बात है. इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि जो ब्यूरोक्रेट अपने होम स्टेट में काम करते हैं वे बड़े भ्रष्टाचार के लिए दरवाजे खोलदेनेका कारण बनते हैं. इस रिसर्च में कहा गया है कि होम स्टेट में पोस्टिंग पाने वाले अाइएएस अफसर अधिक भ्रष्ट होते हैं और राजनीतिक दबाव के सामने अपने स्टैंड पर खड़े रहने की कम क्षमता रखते हैं. इतना ही नहीं रिसर्च रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वे अपने होम स्टेट में कामकाज में सबसे बुराप्रदर्शन करते हैं, इसकी तुलना में अन्य राज्यों में उनका परफार्मेंस अच्छा होता है. ये बातें सोशल प्राक्सिमिटी एंड ब्यूरोक्रेट परफार्मेंस : एवीडेंस फ्रॉम इंडिया (सामाजिक निकटता और नौकरशाही प्रदर्शन : भारत से साक्ष्य) नामक रिसर्च पेपर में कही गयी हैं और इसे दुनिया के तीन बड़े विश्वविद्यालयों यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक के स्कॉलर गुओ जू, मैरिएन बर्ट्रेंड और रॉबिन बर्गीज ने तैयार किया है.
रिसर्चपेपर में और क्या कहा गया है?
रिसर्च पेपर में कहा गया है कि होम स्टेट में काम करने वाले आइएएस अफसरों को कम्युनिकेट करनायानीउनतक संपर्क बनाना आसान होता है और इसका असर उनके परफार्मेंस पर पड़ता है. इसमें कहा गया है कि लोकल अफसरों को राजनीतिक वर्ग द्वारा अपने प्रभाव में लेने की अधिक संभावना होती है और ऐसाउनका अपनी समुदाय में गहरे स्थानीय नेटवर्क के कारण संभव होता है. ऐसी स्थिति में रिश्वतखोरी भी अधिक आसान हो जाता है.
रिसर्च में कहा गया है कि कर्नाटक, बिहार व गुजरात में होम पोस्टिंग में अधिक ऋणात्मक असर देखे गये हैं. इस संदर्भ में कर्नाटक व बिहार के भ्रष्टाचार का भी उल्लेख किया गया है. वहीं, पंजाब, पश्चिम बंगाल व आंध्रप्रदेश में होम स्टेट में पोस्टिंग को न्यूनतम नुकसान देह माना गया है.
सेवा से बाहर आने के बाद क्या करते हैं अफसर?
रिसर्च में यह भी अध्ययन किया गया है कि आइएएस अफसर लोक सेवा से बाहर आने के बाद क्या करते हैं? इसमें यह पाया गया कि इसके बाद होम स्टेट में पोस्टेड ज्यादातर अफसर पब्लिक-प्राइवेट बोर्ड में शामिल हो जाते हैं. ऐसे फर्म ज्यादातर उनके होम स्टेट में ही होते हैं. यह स्थिति बताती है कि कि अफसर अपने लोकल नेटवर्क का उपयोग कैसे करता है. रिसर्च करने वालों ने पाया कि फरवरी 2018 तक 17 प्रतिशत आइएएस अफसर कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल थे.
यह भी दिलचस्प है कि इसमें 99 प्रतिशत कंपनियां अनलिस्टेड हैं. 65 प्रतिशत कंपनियां पब्लिक व स्टेट ऑनर्स फर्मकीहैं.
इस शोध में एक खुले प्रश्न का जवाब तलाश गया कि क्या चीज है जो आइएएस अफसरों को होम स्टेट में पोस्टिंग के लिए मदद करती है, तो इसमें यह तथ्य सामने आया कि इससे वे अपने दायित्वों की पूर्ति करने में अधिक सामर्थ्य लगायेंगे और अपनी ड़्यूटी को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा करेंगे. और, ये चीजें उन्हें बिना अधिक भुगतान किये हासिल हो जाएगा. इससे उलट होम स्टेट में वे अधिक भ्रष्ट हो जाते हैं, क्योंकि वे स्थानीय स्तर पर अधिक संपर्क वाले व भरोसे वाले होते हैं. वे राजनेताअों व स्थानीय विशिष्ट लोगों के दायरे में अधिक आसानी से आ जाते हैं.