नयी दिल्ली : सरकार ने गुरुवारको बताया कि पाकिस्तान ने 58 असैन्य कैदियों के अपनी हिरासत में होना स्वीकार किया है जो संभवत: भारतीय नागरिक हैं. विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने राज्यसभा को सरदार बलविंदर सिंह भुंडर के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि एक जनवरी 2018 को भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच आदान-प्रदान की गयी सूचियों के अनुसार, पाकिस्तान ने 58 असैन्य बंदियों के अपनी हिरासत में होने की बात स्वीकार की है जो संभवत: भारतीय नागरिक हैं. इनमें से पाकिस्तान ने अब तक 47 जेल बंदियों के लिए कॉन्सुलर सहायता प्रदान की है. सिंह ने बताया कि इन जेल बंदियों में से सात की राष्ट्रीयता की पुष्ट हो चुकी है. इनमें से एक ने अपनी सजा पूरी कर ली है और उसकी रिहाई और प्रत्यर्पण का मामला पाकिस्तान के समक्ष लगातार उठाया गया है. इसके अलावा 13 असैन्य बंदियों के मामले उनकी नागरिकता के सत्यापन के विभिन्न चरणों में हैं.
विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि 27 असैन्य बंदी मानसिक रूप से अक्षम हैं और उनकी नागरिकता की पुष्टि यथोचित जानकारी न होने की वजह से नहीं की जा सकी. सरकार ने इन बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों का एक दल भेजने की पहल की है ताकि नागरिकता की पुष्टि हो और फिर उन्हें प्रत्यर्पण की सुविधा दी जा सके. उन्होंने बताया, सात मार्च 2018 को पाकिस्तान सरकार ने हमारे प्रस्ताव पर सहमति जतायी थी. भारतीय चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए वीजा आवेदनों को नयी दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के पास जमा करा दिया गया है.
सिंह ने बताया, उल्लेखनीय बात है कि लगातार प्रयासों के चलते सरकार वर्ष 2014 से अब तक पाकिस्तान से 19 भारतीय नागरिक कैदियों की रिहाई और प्रत्यर्पण कराने में सफल रही है. दूसरे देशों की जेलों में बंद भारतीयों के बारे में तिरूचि शिवा और वंदना चव्हाण के प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने बताया, मंत्रालय के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार सात मार्च 2018 तक विदेशी जेलों में 7850 भारतीय कैदी हैं.