मजीठिया के बाद अब अरुण जेटली आैर नितिन गडकरी से भी माफी मांगेंगे अरविंद केजरीवाल

नयी दिल्ली : राजनीतिक आैर प्रशासनिक संकट का सामना कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 20 से ज्यादा मानहानि के मामले को निपटाने का फैसला किया है. केजरीवाल अपने ऊपर चल रहे सभी मानहानि के मामलों को खत्म करने के लिए सभी संबंधित पक्षों आैर नेताओं से बात करेंगे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2018 9:13 AM

नयी दिल्ली : राजनीतिक आैर प्रशासनिक संकट का सामना कर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 20 से ज्यादा मानहानि के मामले को निपटाने का फैसला किया है. केजरीवाल अपने ऊपर चल रहे सभी मानहानि के मामलों को खत्म करने के लिए सभी संबंधित पक्षों आैर नेताओं से बात करेंगे तथा उनसे माफी मांगेंगे.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली व नितिन गडकरी समेत कई नेताओं ने मानहानि के मुकदमे ठाेक रखे हैं. दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री केजरीवाल को अक्सर अदालत में घंटों बर्बाद करने पड़ रहे हैं, जिससे उनका कामकाज प्रभावित हो रहा है. इसलिए अब सभी मुकदमे खत्म करने के लिए कोशिश करेंगे.

मीडिया की खबरों के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आेर से पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगे जाने के बाद पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री दर्जनों मामलों का सामना कर रहे हैं. इनमें मानहानि, चुनाव प्रचार के दौरान होर्डिंग व पोस्टर लगाना, धारा 144 का उल्लंघन, दिल्ली में प्रदर्शन जैसे मुद्दों को लेकर मुकदमें दायर किये गये हैं. ऐसे ही मामले देश के अन्य हिस्सों जैसे वाराणसी, अमेठी, पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गोवा और अन्य जगहों पर भी दायर किये गये हैं. इनमें से ज्यादातर मामलों में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद रहने की आवश्यकता होती है.

पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ये मामले हमारे राजनीतिक विरोधियों द्वारा हमें हतोत्साहित करने और हमारे नेतृत्व को इन कानूनी मामलों में उलझाये रखने के लिए दर्ज कराये गये हैं. ऐसे सभी मामलों को आपसी सहमति से सुलझाने का निर्णय पार्टी की लीगल टीम के सलाह पर लिया गया है. दिल्ली में दायर मामलों को फास्ट ट्रैक पर रखा गया है, जिसकी वजह से विधायकों और मंत्रियों को प्रतिदिन दिल्ली और अन्य राज्यों में अदालतों में उपस्थित रहना पड़ता है. पहले से ही संसाधन की कमी झेल रही पार्टी के लिए कोर्ट केस एक बोझ है.

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