कर्नाटक : लिंगायत समुदाय को सिद्धरमैया सरकार ने दिया अलग धर्म का दर्जा, भाजपा का विरोध
बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार ने नागभूषण कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए लिंगायत समुदाय को धर्म का दर्जा देने की बात मान ली है. कैबिनेट ने इसे इन सिफारिशों को मंजूरी दी है. भारतीय जनता पार्टी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे समुदाय को बांटने वाला बताया. राज्य की सिद्धरमैया सरकार ने यह […]
बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार ने नागभूषण कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए लिंगायत समुदाय को धर्म का दर्जा देने की बात मान ली है. कैबिनेट ने इसे इन सिफारिशों को मंजूरी दी है. भारतीय जनता पार्टी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे समुदाय को बांटने वाला बताया. राज्य की सिद्धरमैया सरकार ने यह फैसला विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिया है.
ध्यान रहे कि कल ही लिंगायत संतों के एक समूह ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से मुलाकात की थी और उस आधिकारिक कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का उनसे अनुरोध किया, जिसमें उनके समुदाय को एक अलग धार्मिक एवं अल्पसंख्यक दर्जा देने की सिफारिश कीगयीहै. संतों का नेतृत्व गाडग आधारित तोंदार्य मठ सिद्धलिंग स्वामी ने की. उन्होंने सिद्धरमैया से यहां उनके निवास पर मुलाकात की और नागमोहन दास कमेटी रिपोर्ट पर विचार करने और उसे लागू करने का अनुरोध किया. गौरतलब है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक में लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक माना जा सकता है.
लिंगायत समुदाय की स्थापना 12वीं सदी में महात्मा बसवण्णां ने की थी. यह समुदाय कर्नाटक में सबसे प्रभावशाली है. कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष वीएस येदुरप्पा इसी समुदाय से आते हैं और इस समुदाय पर उनके प्रभाव के कारण ही कर्नाटक में पहली बार भाजपा सरकार बनाने में सफल हुई थी.