”डाउन टू अर्थ” की रिपोर्ट : भारत का केपटाउन बनने की कगार पर बेंगलुरु
नयी दिल्ली : भविष्य में भीषण जलसंकट के दायरे में आने की आशंकावाले दुनिया के दस शहरों की फेहरिस्त में शामिल किये गये भारतीय शहर बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर की तरह भविष्य में जलसंकट का खतरा आसन्न है. पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘सेंटर फॉर सांइस’ (सीएसई) की मदद से प्रकाशित […]
नयी दिल्ली : भविष्य में भीषण जलसंकट के दायरे में आने की आशंकावाले दुनिया के दस शहरों की फेहरिस्त में शामिल किये गये भारतीय शहर बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर की तरह भविष्य में जलसंकट का खतरा आसन्न है.
पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘सेंटर फॉर सांइस’ (सीएसई) की मदद से प्रकाशित पत्रिका ‘डाउन टू अर्थ’ की रिपोर्ट में बेंगलुरु को भारत का केपटाउन बताया गया है. इसके अनुसार बेंगलुरु में 79 प्रतिशत जलाशय अनियोजित शहरीकरण और अतिक्रमण की भेंट चढ़ कर अपना वजूद खो चुके हैं. इस स्थिति के लिए शहर के कुल क्षेत्रफल में 1973 की तुलना में निर्माणाधीन क्षेत्र में 77 प्रतिशत इजाफे का अहम योगदान है. पत्रिका की रिपोर्ट के हवाले से सीएसई द्वारा बुधवार को विश्व जल दिवस के मौके पर जारी बयान के मुताबिक बेंगलुरु का भूजल स्तर पिछले दो दशक में 10-12 मीटर से गिर कर 76-91 मीटर तक जा पहुंचा है. साथ ही शहर में बोर-वेल की संख्या तीस साल में पांच हजार से बढ़कर 4 .5 लाख हो गयी है.
रिपोर्ट के दावे के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में जलसंकट की भयावहता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आगामी जून-जुलाई में शहर के सभी नलों में पानी की आपूर्ति खत्म हो जायेगी. एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2031 तक बेंगलुरु की आबादी 3.5 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर के साथ 2.03 करोड़ हो जायेगी. रिपोर्ट में आसन्न जलसंकट की जद में आनेवाले अन्य शहरों में बीजिंग (चीन), मैक्सिको सिटी (मैक्सिको), नैरोबी (केन्या), कराची (पाकिस्तान), काबुल (अफगानिस्तान) और इस्तांबुल (तुर्की) शामिल किये गये हैं. इन शहरों में पानी की उपलब्धता कभी भी नगण्य हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर इन शहरों में जलसंसाधनों का समुचित वितरण और उपभोग सुनिश्चित नहीं किया गया तो केपटाउन की तरह अन्य शहरों में भी यह स्थिति कभी भी आ सकती है.