फेसबुक डाटा लीक मामला : सामने आये मार्क जुकरबर्ग, तोड़ी चुप्पी, गलती के लिए हम जिम्मेवार
नयी दिल्ली : फेसबुक डाटा लीक मामले में फेसबुक और उसके मालिक मार्क जुकरबर्ग चौतरफा घिरते दिख रहे हैं. यह पूरा मामला मीडिया में सामने आने के बाद पहली बार मार्क जुकरबर्ग ने चु्प्पी तोड़ी है और कहा है कि इस कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी द्वारा किये गये धोखाधड़ी के लिए फेसबुक हजारों एप्प की जांच […]
नयी दिल्ली : फेसबुक डाटा लीक मामले में फेसबुक और उसके मालिक मार्क जुकरबर्ग चौतरफा घिरते दिख रहे हैं. यह पूरा मामला मीडिया में सामने आने के बाद पहली बार मार्क जुकरबर्ग ने चु्प्पी तोड़ी है और कहा है कि इस कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी द्वारा किये गये धोखाधड़ी के लिए फेसबुक हजारों एप्प की जांच करेगा.
डेटा लीक पर बवाल मचने के बाद फ़ेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने फ़ेसबुक पोस्ट के माध्यम से सफ़ाई दी है. जुकरबर्ग ने अपने फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा है कि लोगों के डेटा सुरक्षित रखना हमारी ज़िम्मेदारी है और अगर हम इसमें सफल नहीं होते हैं तो ये हमारी गलती है. यही नहीं उन्होंने कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी मामले में अभी तक कई कदम उठा चुका है और आगे भी कड़े कदम उठाने पर विचार कर रहा है. जुकरबर्ग ने कैम्ब्रिज एनालिटिका के मामले में अपनी गलती को कबूला है.
एक टूल देगा फेसबुक
जुकरबर्ग ने कहा कि फेसबुक अपने यूजर्स को एक नया टूल देगा कि ताकि उन्हें जानकारी मिल सके कि उनके डेटा का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है, साझा किया जा रहा है, और आगे से डेवलपर्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए डेटा तक उसके पहुंच को प्रतिबंधित कर देगा. उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा कि फेसबुक को मैंने शुरू किया था, इसके साथ अगर कुछ भी होता है तो इसकी जिम्मेदारी मेरी ही है. हम अपनी गलतियों से सीखने का प्रयास करेंगे, हम एक बार फिर आपका विश्वास जीतने की कोशिश करेंगे. हालांकि, उन्होंने कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका से जुड़े इस विशेष मुद्दे को आज के नये ऐप के साथ नहीं होना चाहिए, लेकिन जो हुआ, उसे बदला नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि इस अनुभव से हम सबक लेंगे और अपने फेसबुक समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति के लिए अधिक सुरक्षित बनाने का प्रयास करेंगे.
क्यों मचा है हंगामा
दरअसल, फेसबुक इसलिए निशाने पर है , क्योंकि एक ब्रिटिश कन्सल्टिंग कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका पर आरोप लगा है कि उसने पांच करोड़ फेसबुक यूज़रों का डेटा बिना अनुमति के एकत्रित किये और उस डेटा का इस्तेमाल राजनेताओं की मदद करने के लिए किया, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चुनावी कैंपेन तथा ब्रेक्ज़िट आंदोलन शामिल हैं.
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