नयी दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षकों की आेर से शुक्रवार को निकाली गयी संसद मार्च रैली गयी. इस रैली के दौरान पुलिस आैर छात्र-शिक्षकों के बीच झड़प भी हो गयी. शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू विश्विवद्यालय परिसर से संसद तक रैली निकाली गयी थी. यह रैली दोपहर बाद दो बजे निकाली गयी थी, जिसमें दो हजार से अधिक शिक्षक आैर छात्र शामिल थे. छात्र-शिक्षकों की यह रैली यौन उत्पीड़न को लेकर सख्त कार्रवार्इ, क्लास में अनिवार्य उपस्थिति, सीट कटौती समेत तमाम मुद्दों को लेकर छात्रों और शिक्षकों में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ रैली निकाली गयी थी. बताया यह जा रहा है कि प्रदर्शनकारी छात्र यौन उत्पीड़न के आरोपी शिक्षक अतुल जौहरी की बर्खास्तगी की भी मांग कर रहे थे.
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इस मामले में दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त अजय चौधरी ने कहा कि जवाहरलाल विश्वविद्यालय के छात्रों को रैली निकालने की अनुमति नहीं दी गयी थी. बावजूद इसके उन्होंने रैली निकाली. उन्होंने कहा कि 23 छात्रों को हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा कि छात्रों को पहले ही इस बात के लिए मना कर दिया गया था कि वे संसद तक मार्च नहीं कर सकते. उस समय उन्होंने इस बात को स्वीकार किया था कि पुलिस जहां उन्हें रोक देगी, वहीं से पर वे रुक जायेंगे.
संयुक्त आयुक्त ने कहा कि छात्रों ने पुलिस की आेर से लगाये गये बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, जिसमें पुलिसकर्मियों को चोट भी आयी है. उन्होंने कहा कि छात्रों की इस कोशिश के बाद ही पुलिस को बल प्रयोग करने पर मजबूर होना पड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि हिरासत में लिये गये छात्रों की रिहार्इ की मांग को लेकर रैली में शामिल प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरना देने के लिए बैठ गये.
गौरतलब है कि समान अधिकार, शिक्षा का अधिकार, विचार विमर्श और असहमत होने के अधिकार को लेकर छात्र रैली निकाल रहे थे. एक दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा सीट में कटौती का है. एक अनुमान के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन की आेर से करीब दाखिले के लिए निर्धारित 1100 सीटों में करीब 800 सीटों की कटौती कर दी गयी है. छात्रों में नये दाखिला प्रक्रिया को लेकर भी नाराजगी है. एमफील, पीएचडी के लिए हुए प्रवेश परीक्षा में मजह 4 छात्र को ही चुना गया, जिन्हें साक्षात्कार के बाद एफफील में दाखिला दिया जायेगा. यह भी तय नहीं है कि इन चार छात्रों में से कितने को चुना जायेगा. शिक्षकों के रिक्त पदों को लेकर भी असंतोष का माहौल देखा जा रहा है. इसी तरह आरक्षण के मुद्दे पर जेएनयू प्रशासन सवालों के घेरे में है.