राज्यसभा ने सचिन-रेखा समेत सेवानिवृत्त हो रहे अपने 60 सदस्यों को दी विदाई
नयी दिल्ली : राज्यसभा ने सेवानिवृत्त हो रहे अपने करीब 60 सदस्यों को बुधवार को विदाई दी और इस मौके पर सभापति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सदन के नेता अरुण जेटली तथा विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने उनके योगदान की सराहना की तथा उनके बेहतर भविष्य की कामना की. इस दौरान […]
नयी दिल्ली : राज्यसभा ने सेवानिवृत्त हो रहे अपने करीब 60 सदस्यों को बुधवार को विदाई दी और इस मौके पर सभापति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सदन के नेता अरुण जेटली तथा विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने उनके योगदान की सराहना की तथा उनके बेहतर भविष्य की कामना की.
इस दौरान कई सदस्यों ने सदन में अक्सर होनेवाले हंगामे पर अफसोस जताया. जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें उपसभापति पीजे कुरियन, सदन के नेता अरुण जेटली, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के अलावा मनोनीत सदस्य रेखा तथा सचिन तेंदुलकर भी शामिल हैं. हालांकि, जेटली और प्रसाद सहित कई सदस्य उच्च सदन के लिए पुन: निर्वाचित हुए हैं. उच्च सदन में 16 दिनों से जारी गतिरोध के बाद बुधवार को सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चली तथा सदन ने अवकाशग्रहण कर रहे सदस्यों को विदाई दी. सभापति नायडू ने विदा हो रहे सदस्यों के योगदान की चर्चा की और कहा कि चर्चाओं में उनके भाग लेने से चर्चा का स्तर ऊंचा हुआ. उन्होंने उपसभापति पीजे कुरियन और पूर्व उपसभापति रहमान खान का खास तौर पर जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में कोई सेवानिवृत्त नहीं होता. उन्होंने सदन में व्यवधान पर अफसोस जताया और सुचारू कार्यवाही पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि यहां तमाम क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं. उनके अनुभव से लाभ उठाया जाना चाहिए. उन्होंने सदन में महिला सदस्यों की संख्या कम होने का भी जिक्र किया और राजनीतिक दलों से आह्वान किया कि उन्हें महिलाओं के पर्याप्त प्रतिनिधित्व पर गौर करना चाहिए. उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि राजनेता कभी सेवानिवृत्त नहीं होते और वे यहां से अवकाशग्रहण करने के बाद कोई और महत्वपूर्ण कार्य में लगे रहेंगे. कुरियन ने भी सदन में हंगामा पर अफसोस जताया और कहा कि वह 1980 के दशक में संसद सदस्य बने थे. उसके बाद से संसद की कार्यवाही के स्तर में गिरावट आयी है. उस समय विरोध जताने के लिए सदस्य सदन से बाहर (वाकआउट) चले जाते थे, लेकिन अब वे आसन के समीप आ जाते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अवकाशग्रहण कर रहे सदस्यों को उनकी उत्तम सेवा के लिए बधाई और उनके भविष्य के जीवन के लिए शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि कुछ साथी इस अनुभव को लेकर समाज सेवा में अपनी भूमिका को और मजबूत करेंगे. उन्होंने कहा कि अवकाशग्रहण कर रहे महानुभावों में से हर एक का अपना योगदान रहा है और हर किसी ने राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रयास किया है. राष्ट्र उनके योगदान को कभी भूल नहीं सकता. विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी उनके योगदान की चर्चा की और यह यह जुदाई का नहीं विदाई का क्षण है और वह भी इस सदन से विदाई हो रही है. उन्होंने कहा कि ऐसे सदस्यों से भी मुलाकातें होती रहेंगी.
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने संसदीय लोकतंत्र में विरोध की आवाज को महत्व दिये जाने की वकालत करते हुए कहा कि विधायिका ने ही लोकतंत्र को जिंदा रखा है, इसलिए विधानमंडलों में विपक्ष के महत्व को बरकरार रखना होगा. उन्होंने कहा कि विधायिका का कोई भी सदस्य सदन में जब भी विरोध की आवाज उठाता है तब वह उसकी निजी आवाज नहीं होती. वह जनता के किसी हित से जुड़ी आवाज होती है. इसलिए सत्तापक्ष को विरोध के स्वर को नजरंदाज करने या उसे उठने ही नहीं देने के बजाय इसे गंभीरता से सुनना चाहिए. इस दौरान सपा के रामगोपाल यादव ने सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों का सदन के संचालन में सक्रिय सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए फिर से चुन कर आये सदस्यों का स्वागत किया. यादव ने नेता सदन के अरुण जेटली के इस बार उत्तर प्रदेश से चुने जाने पर खुशी जताते हुए सपा के सिर्फ एक सदस्य की वापसी का जिक्र करते हुए कहा कि उनके दल को इस चुनाव में सर्वाधिक नुकसान हुआ, जिसका उन्हें दुख है.
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने सदन में अहम मुद्दों पर चर्चा के अभाव का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमारी राजनीतिक विचारधारा भिन्न होने से हम एक दूसरे का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी तो हो सकते हैं, लेकिन हम राजनतिक शत्रु नहीं हैं.’ डेरेक ने कहा कि उनके दल के विवेक गुप्ता महज 41 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो रहे सदन के शायद सबसे युवा सदस्य हैं. उन्होंने युवाओं की उच्च सदन में भागीदारी को सुचारु रखने की उम्मीद जताते हुए कहा कि इससे नये और नवोन्मेषी विचार सदन में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहेंगे.
जदयू के हरिवंश ने सदन में जारी गतिरोध पर सभापति एम वैंकेया नायडू की पीड़ा से सहमति जताते हुए कहा कि सदन में चर्चा न होना इसके मकसद को विफल बनाता है. सार्थक चर्चा से ही हम उच्च सदन के सदस्य कहलाये जाने योग्य होंगे. बसपा के सतीश मिश्रा ने उच्च सदन के चुनाव में धनबल और बाहुबल के इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त की. चर्चा में अन्नाद्रमुक की कनिमोई, माकपा के टीके रंगराजन, तेदेपा के वाईएस चौधरी, शिव सेना के संजय राउत, अकाली दल के सुखदेव ढींढसा ने भी हिस्सा लिया. सेवानिवृत्त हो रही मनोनीत सदस्य अनु आगा ने राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाये जाने के प्रस्ताव को एकस्वर से सभी दलों द्वारा ठुकरा दिये जाने को अपने कार्यकाल का दुखद अनुभव बताया. उन्होंने उम्मीद जतायी कि राजनीतिक शुचिता की खातिर जल्द ही इस जरूरत का महसूस करते हुए सभी राजनीतिक दल खुद को आरटीआई के दायरे में लायेंगे.
हाल ही में भाजपा में शामिल हुए सपा सदस्य नरेश अग्रवाल ने सभी दलों की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ तो है उनमें जिसकी वजह से उन्हें हर दल में स्वीकार कर लिया जाता है. सपा से अलग हुए अग्रवाल ने इशारों में कहा कि उन्हें अपमान बर्दाश्त नहीं होता है. इतना ही नहीं उन्होंने जल्द ही किसी सदन में खुद के फिर से आने की उम्मीद भी जतायी. कांग्रेस के सेवानिवृत्त हो रहे सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी ने राजनीतिक जीवन से भी सेवानिवृत्त होने का खुलासा करते हुए कहा कि उन्होंने तय किया था कि 65 साल की उम्र पूरी करने पर वह न तो कोई पद ग्रहण करेंगे न ही स्वीकार करेंगे. उन्होंने कहा कि इसके पीछे नयी पीढ़ी के लिए स्थान खाली करना ही एकमात्र कारण है. उन्होंने पिछले कुछ दशकों में राजनीतिक दलों में साफगोई की कमी आने पर चिंता व्यक्त करते हुए सभी राजनीतिक दलों से रक्षा सौदों पर राजनीति नहीं करने की अपील की. चतुर्वेदी ने कहा कि बोफोर्स मामले के बाद से सेनाएं अच्छी तोपों के लिये तरस गयी हैं.