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दुनिया में सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के शहर

भोपाल : मध्यप्रदेश और उसके पड़ोसी छत्तीसगढ़ राज्य के दो बड़े शहर भोपाल एवं रायपुर अब दुनिया के नक्शे पर विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के ताजा आंकडों ने मध्यप्रदेश और उसके पडोसी छत्तीसगढ़ के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. भोपाल जहां खतरे की […]

भोपाल : मध्यप्रदेश और उसके पड़ोसी छत्तीसगढ़ राज्य के दो बड़े शहर भोपाल एवं रायपुर अब दुनिया के नक्शे पर विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के ताजा आंकडों ने मध्यप्रदेश और उसके पडोसी छत्तीसगढ़ के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. भोपाल जहां खतरे की ओर बढ़ रहा है, वहीं ग्वालियर शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली से अब ज्यादा दूर नहीं रहा है.

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सद्प्रयास के अब्दुल जब्बार ने डब्लूएचओ के नए आंकडों को लेकर कहा कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर ने तो वायु प्रदूषण के मामले में देश ही नहीं, दुनिया के तमाम औद्यौगिक महानगरों को पीछे छोड दिया है, जो एक खतरे की घंटी है.

डब्लूएचओ द्वारा जारी किए गए ताजा आंकडों में दिल्ली को दुनिया का सबसे अधिक प्रदूषित शहर बताया गया है. आंकडे बताते हैं कि ग्वालियर और रायपुर दोनो शहर वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों (पीएम-10) से होने वाले प्रदूषण के मामले में देश में सबसे आगे हैं.

जब्बार कहते हैं कि अति सूक्ष्म कणों (पीएम-2.5) से होने वाले प्रदूषण के मामले में डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार तो ग्वालियर और रायपुर शहर दिल्ली के आसपास खडे हैं. भोपाल में पीएम-10 की मात्रा तय पैमाने से काफी ज्यादा है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक समझे जाने वाले पीएम-2.5 से होने वाले प्रदूषण के मामले में भोपाल में स्थिति देश के अन्य शहरों की तुलना में बेहतर है.

वायु प्रदूषण पर नजर रखने वाले एनजीओ शुरुआत के राजीव लोचन ने हवा में पार्टीकुलेट मैटर (पीएम) के बारे में बताया कि यह हवा में ठोस अथवा तरल के रुप में मौजूद अति सूक्ष्म कण हैं. इनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है, इसलिए उन्हें पीएम-2.5 कहा जाता है और जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से कम होता है, उन्हें पीएम-10 कहा जाता है.

उन्‍होंने बताया कि इन कणों में हवा में मौजूद कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड, लेड आदि घुले होते हैं और इससे यह जहरीला हो जाता है. पीएम-2.5 का स्तर 60 से अधिक होने पर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है. सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफडों में पहुंचते हैं. यह रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम कर देता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है. राजीव बताते हैं कि हवा में पीएम-10 की अधिकतम मात्रा 100 और पीएम-2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए.

डब्लूएचओ द्वारा जारी किए गए ताजा आंकडों में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और ग्वालियर शहर के अलावा इंदौर, उज्जैन, देवास, सिंगरौली को शामिल किया गया है. वहीं इसके शोध में छत्तीसगढ़ के रायपुर, कोरबा और रायगढ़ शामिल हैं.

हालांकि मध्यप्रदेश के लिए एक अच्छी खबर यह है कि बिजलीघरों की उडन राख :फ्लाई ऐश: और कार्बन डाई ऑक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन को लेकर कुख्यात कोयला नगरी सिंगरौली अब वायु प्रदूषण की विनाशक मात्रा से उबर चुका है. सिंगरौली में पीएम-10 की मात्रा 60 और पीएम-2.5 की मात्रा 26 है, जो कि सीमा के भीतर है. डब्लूएचओ के आंकडे बताते हैं कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सूक्ष्म कणों पीएम-10 का वार्षिक उत्सर्जन 309 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जो कि देश में ग्वालियर के बाद दूसरे क्रम पर है.

रायपुर, पीएम-10 से होने वाले प्रदूषण के मामले में दुनिया के टॉप 10 शहरों की सूची में शामिल है और जहां तक पीएम-2.5 से होने वाले प्रदूषण का सवाल है, तो रायपुर देश में चौथे क्रम पर है. वहां यह मात्रा 134 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है. गौरतलब है कि प्रदूषण के लिए कुख्यात पाकिस्तान के कराची, रावलपिंडी एवं चीन के बीजिंग सहित अन्य शहरों से यह बेहद अधिक है.

डब्लूएचओ के आंकडों के अनुसार मध्यप्रदेश का ग्वालियर शहर दुनिया के नक्शे पर प्रदूषण के बडे ठिकाने के रुप में उभर रहा है. यहां सूक्ष्म कणों पीएम-10 का वार्षिक उत्सर्जन 329 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है और अति सूक्ष्म कणों पीएम-2.5 की हवा में मात्रा 144 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जो कि दिल्ली 153 और पटना 149 के बाद तीसरे क्रम पर है. वहीं, भोपाल में पीएम-10 की मात्रा 171 एवं पीएम-2.5 की मात्रा 75 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जो पर्यावरण के लिए बढ़ता हुआ एक गंभीर खतरा है.

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