चुनाव से पहले वक्फ बोर्ड को भूखंडों के स्थानांतरण के मामले में उच्च न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा चुनाव से पहले सरकार द्वारा अधिगृहीत भूमि वापस लेकर प्रमुख स्थलों पर 123 भूखंड दिल्ली वक्फ बोर्ड को स्थानांतरित करने का रास्ता साफ करने संबंधी आदेश निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है.न्यायमूर्ति बी डी अहमद और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2014 12:20 PM

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा चुनाव से पहले सरकार द्वारा अधिगृहीत भूमि वापस लेकर प्रमुख स्थलों पर 123 भूखंड दिल्ली वक्फ बोर्ड को स्थानांतरित करने का रास्ता साफ करने संबंधी आदेश निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है.न्यायमूर्ति बी डी अहमद और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ ने इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद की याचिका पर ये नोटिस जारी किये. न्यायालय ने गृह मंत्रलय के सचिव, दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली वक्फ बोर्ड से जवाब तलब किये हैं. न्यायालय इस याचिका पर अब 15 मई को सुनवाई करेगा. न्यायालय ने याचिका में सरकार पर लगाये गये इस आरोप का संज्ञान लिया कि उसने 2014 के आम चुनावों से पहले अल्पसंख्यक समुदाय को अनावश्यक लाभ पहुंचाने का प्रयास किया है.

सरकार की पांच मार्च की अधिसूचना में कहा गया था कि भू स्वामी एजेन्सियां-भूमि एवं विकास कार्यालय और दिल्ली विकास प्राधिकरण इन संपत्तियों पर अपना अधिकार खत्म करेंगी जो अब दिल्ली वक्फ बोर्ड को चली जायेंगी. इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद की ओर से वकील अनिल ग्रोवर ने यह याचिका दायर की है. याचिका में पांच मार्च की सरकार की अधिसूचना निरस्त करने का अनुरोध किया गया है. इस अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने राजधानी स्थित अधिगृहीत 123 संपत्तियों को वापस ले लिया था. याचिका में कहा गया है कि जिन संपत्तियों का अधिग्रहण करके सरकार ने अपने अधिकार में लिया है, उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 48 में प्रदत्त अधिकार का इस्तेमाल करके अधिग्रहण से मुक्त नहीं किया जा सकता है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह अधिसूचना सिर्फ दिल्ली वक्फ बोर्ड को गैरकानूनी तरीके से अनावश्यक लाभ पहुंचाने और विशेषरुप से 16वीं लोकसभा के लिये आम चुनाव में एक धार्मिक समुदाय से अवैध राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के इरादे से ही जारी की गयी है. याचिका के अनुसार यह अधिसूचना गैरकानूनी तरीके से सिर्फ अल्पसंख्यकों और विशेष रुप से मुस्लिम समुदाय को खुश करने की ‘मंशा’ से यह दिखाने के लिये जारी की गयी है कि सरकार दिल्ली में उन्हें 123 प्रमुख संपत्तियां उपहार में दे रही है.

इस समय 123 संपत्तियों में से 61 शहरी विकास मंत्रलय के तहत भूमि एवं विकास कार्यालय के स्वामित्व में हैं जबकि 62 संपत्तियां दिल्ली विकास प्राधिकरण के पास हैं. याचिका में केंद्र सरकार, भूमि एवं विकास अधिकारी और दिल्ली विकास प्राधिकरण को पांच मार्च की अधिसूचना में दर्ज संपत्तियां वक्फ बोर्ड या किसी भी अन्य व्यक्ति को किसी भी तरह से हस्तांतरित करने या उनका निष्पादन नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रलय ने इस प्रस्ताव के आकलन के लिये केंद्रीय वक्फ परिषद के तहत विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी. विशेषज्ञ समिति ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. इसमें से अधिकांश संपत्तियां राजधानी के कनाट प्लेस, मथुरा रोड, लोदी रोड, मानसिंह रोड, पंडारा रोड, अशोका रोड, जनपथ, संसद भवन, करोल बाग, सदर बाजार, दरियागंज और जंगपुरा इलाके में स्थित हैं.

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