Twitter पर किसने पूछा : लालू चारा घोटाला के लिए जिम्मेवार, तो पेपर लीक के लिए CBSE चेयरमैन व शिक्षा मंत्री क्यों नहीं?

रांची : अविभाजित बिहार में हुए 90 के दशक के सबसे बड़े घोटाले के अभियुक्त लालू प्रसाद यादव अब नयी दिल्ली में एम्स में इलाज करा रहे हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू के दिल्ली शिफ्ट होने के बाद से ट्विटर पर उनके प्रति कई लोगों ने सहानुभूति जतायी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2018 7:11 PM

रांची : अविभाजित बिहार में हुए 90 के दशक के सबसे बड़े घोटाले के अभियुक्त लालू प्रसाद यादव अब नयी दिल्ली में एम्स में इलाज करा रहे हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू के दिल्ली शिफ्ट होने के बाद से ट्विटर पर उनके प्रति कई लोगों ने सहानुभूति जतायी. वहीं, लालू की सजा के बहाने गुजरात के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रहे संजीव भट्ट ने सवाल किया है कि यदि चारा घोटाला के लिए लालू प्रसाद जिम्मेवार थे और उन्हें 14 साल की कड़ी सजना भुगतनी होगी, तो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) के चेयरमैन और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री का भविष्य क्या होना चाहिए.

भट्ट ने 31 मार्च को ट्वीट किया, ‘यदि चारा घोटाला के लिए बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री को अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है औरकेसदर केस उन्हें सजा हो सकती है, तो CBSEपेपरलीक स्कैम मामले में CBSE के चेयरमैन और मानव संसाधन विकास मंत्री का भविष्य क्या होना चाहिए?

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ट्विटर पर कई लोगों ने लालू के प्रति सहानुभूति जतायी, तो किसी ने किसी और के ट्वीट पर चुटकी भी ली. रैबीज के नाम से ट्वीट करने वाले किसी शख्स ने लिखा, ‘ए राजा को कोर्ट ने बरी कर दिया. सैग्गी घोष ने लिखा : न्याय मिला. लालू यादव को कोर्ट ने सजा सुनायी. सैग्गी घोष ने लिखा : मूलभूत अधिकारों का हनन. उन्हें सजा हुई, क्योंकि वह भाजपा विरोधी हैं. भ्रष्ट न्यायपालिका. लालू महात्मा गांधी हैं. लालू मसीहा हैं. लालू भगवान हैं. हे लालू.’

इसके साथ ही कई लोगों ने बिहार में लालू राज को याद करना शुरू कर दिया.विवेककौल ने लिखा, ‘सभी संपादक, जो आज अचानक से लालू यादव से प्यार करने लगे हैं, वे 90 के दशक में बिहार और झारखंड में नहीं पले-बढ़े. ये लोग दक्षिण मुंबई और दिल्ली के लुटियंस इलाके में बिल्कुल सुरक्षित थे. मैं ऐसे शहर में पला-बढ़ा, जहां मई, 1992 में लगातार 15 दिन तक बिजली गुल रही थी. ऐसा था लालू का राज.’

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भैयाजी ने तो लालू राज के अपराध के आंकड़े पेश करते हुए लालू से सहानुभूति रखने वाले पत्रकारों और संपादकों की बखिया उधेड़ दी. उन्होंने लिखा,‘ऐसे वक्त में, जब तमाम उदारवादी पत्रकार लालू को बेगुनाह और मासूम साबित करने में जुटे हैं, मैं उनके कार्यकाल के दौरान जंगलराज के बारे में बताना चाहता हूं. ‘साहब, बीबी और गैंगस्टर्स’ के राज में राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और कुछ व्यापारियों का आपराधिक गिरोह काम करता था. तुलना करेंगे, तो लालू के राज में उनके और उनकी टीम के द्वारा चलायी जा रही संगठित अापराधिक गतिविधियों के आगे चारा घोटाला कुछ नहीं था.’

उन्होंने आगे अपने गुस्से का इजहार इन शब्दों में किया है, ‘जब लालू के संरक्षण में अपराध और अपराधी फल-फूल रहे थे, शाम को 5 बजे के बाद घर से निकला खतरा मोल लेना था. किसी दिन दिन भर बिजली मिल जाये, तो यह खबर थी. सड़क मार्ग से 100 किलोमीटर की यात्रा करना बड़ी बात थी. उन्होंने बिहार को पीछे धकेल दिया. वह एक अपराधी हैं.’

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भैयाजी यहीं नहीं रुके. उन्होंने लिखा, ‘वर्ष 1989 में जैसे ही लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री का पदभार संभाला, उनके साले साधु यादव और सुभाष यादव अपराध और गुंडागर्दी का पर्याय बन गये. उन्होंने शहाबुद्दीन जैसे अपराधियों को पूरी छूट दी, जिसने पहले इलाके में आतंक मचाया और फिर खुद को और मजबूत बनाने के लिए राजनीति में आ गया.’

उन्होंने बताया है कि 1992 से वर्ष 2004 के बीच लालू के राज में 32 हजार से अधिक अपहरण की घटनाएं हुईं. इनमें से बहुत से लोगों को मार दिया गया और बड़ी संख्या में लोगों को मोटी रकम देने के बाद छोड़ा गया. लालू यादव एंड कंपनी का भय ऐसा कि डॉक्टर और इंजनियर बिहार छोड़कर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शिफ्ट हो गये.

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