इंदौर : मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान सरकार की ओर से पांच धार्मिक नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिये जाने से विवाद खड़ा हो गया है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी है. याचिका में गुहार लगायी गयी है कि प्रदेश सरकार द्वारा पांच धार्मिक नेताओं को दिया गया राज्य मंत्री का दर्जा समाप्त किया जाये.
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में रामबहादुर वर्मा नामक स्थानीय बाशिंदे ने यह याचिका दायर की. इसमें प्रदेश सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है. इस याचिका पर सुनवाई की तारीख फिलहाल तय नहीं की गयी है. वर्मा के वकील गौतम गुप्ता ने संवाददाताओं को बताया कि याचिका में कहा गया है कि राज्यमंत्री के दर्जे के कारण पांचों धार्मिक हस्तियों को मिलने वाली सरकारी सुख-सुविधाओं का बोझ आख्रिरकार करदाताओं पर आयेगा, जबकि संविधान में इस तरह के दर्जे का कोई प्रावधान ही नहीं है.
उन्होंने कहा, पांचों धार्मिक हस्तियों को राज्य मंत्री का दर्जा तो मिल गया है. लेकिन इसके बावजूद मतदाताओं और विधानसभा के प्रति उनकी वैसी जवाबदेही नहीं है, जैसी निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की होती है. यह नैतिक और कानूनी रूप से उचित नहीं है.
राज्य सरकार के जारी आदेश के अनुसार प्रदेश के विभिन्न चिन्हित क्षेत्रों में विशेषतः नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिये 31 मार्च को विशेष समिति गठित की गई है.
इस समिति के पांच विशेष सदस्यों नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, भैयू महाराज, कम्प्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा प्रदान किया गया है.