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आरक्षण के कई मसलों पर निर्णय के लिए सुप्रीम कोर्ट का शीघ्र संविधान पीठ गठित करने से इनकार

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के मामले में अजा- अजजा के कोटे से क्रीमी लेयर को अलग करने सहित आरक्षण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार के लिए शीघ्र संविधान पीठ गठित करने की संभावना से आज इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति […]


नयी दिल्ली :
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के मामले में अजा- अजजा के कोटे से क्रीमी लेयर को अलग करने सहित आरक्षण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार के लिए शीघ्र संविधान पीठ गठित करने की संभावना से आज इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि संविधान पीठ गठित करने में कुछ समय लगेगा.

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इससे पहले पीठ ने कहा था कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस पहलू पर विचार करेगी कि क्या एम नागराज मामले में 2006 में सुनाये गये फैसले पर फिर से गौर करने की जरूरत है. इस फैसले में कहा गया था कि अन्य पिछड़े वर्गो के कोटे में लागू क्रीमी लेयर को अलग करने का सिद्धांत सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए पदोन्नति में लागू नहीं किया जा सकता. याचिकाकर्ताओं के वकील नरेश कौशिक और सुयश मोहन गारू ने आज जब इस मामले का उल्लेख करते हुये संविधान पीठ शीघ्र गठित करने का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा कि इसमें समय लगेगा.

इससे पहले, न्यायालय ने पदोन्नति के मामले में अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को आरक्षण देने के मसले को लेकर दायर कई याचिकाओं को एकसाथ संलग्न कर दिया था. इसमें मध्य प्रदेश सरकार की भी एक याचिका शामिल है जिसमें उच्च न्यायलय के फैसले को चुनौती दी गयी है.

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