संसद में गतिरोध : वेतन के 3.66 करोड़ रुपये नहीं लेंगे एनडीए सांसद

नयी दिल्ली : संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने गुरुवारको कहा कि सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के करीब 400 सांसद मौजूदा बजट सत्र के दूसरे चरण के कुल 23 दिन का अपना कुल 3.66 करोड़ रुपये का वेतन नहीं लेंगे. गत पांच मार्च को शुरू हुआ बजट सत्र का दूसरा चरण लगभग पूरी तरह हंगामे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2018 7:25 PM

नयी दिल्ली : संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने गुरुवारको कहा कि सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के करीब 400 सांसद मौजूदा बजट सत्र के दूसरे चरण के कुल 23 दिन का अपना कुल 3.66 करोड़ रुपये का वेतन नहीं लेंगे.

गत पांच मार्च को शुरू हुआ बजट सत्र का दूसरा चरण लगभग पूरी तरह हंगामे की भेंट चढ़ चुका है और लोकसभा एवं राज्यसभा में कोई कामकाज नहीं हो सका है. शुक्रवार को समाप्त हो रहे इस सत्र में दूसरे चरण में कोई कामकाज नहीं होने के लिए अनंत कुमार ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कांग्रेस पर नकारात्मक और अलोकतांत्रिक राजनीति में शामिल होने का जिम्मेदार ठहराते हुए इसकी निंदा की. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस जिस तरह की राजनीति कर रही है, उससे वह कर्नाटक में बुरी तरह मुंह की खायेगी जहां मई में विधानसभा चुनाव होने हैं.

कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम पिछले 21 दिन से संसद में किसी विषय पर चर्चा नहीं कर पाये हैं और महत्वपूर्ण विधेयक पारित नहीं कर पाये हैं. कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही को बाधित किया. कोई कामकाज नहीं हुआ, इसलिए हमने अपना 23 दिन का वेतन और भत्ता छोड़ने का फैसला किया है.’ उन्होंने कहा कि पहली बार किसी सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन के सांसद अपना वेतन छोड़ रहे हैं. इसका दीर्घकालिक प्रभाव होगा. प्रत्येक सांसद को वेतन और भत्तों के रूप में करीब 1.6 लाख रुपये प्रति माह मिलते हैं. कुमार ने बताया कि इसमें से 91,699 रुपये छोड़ दिये जायेंगे.

कुमार ने आरोप लगाया कि कांग्रेस मोदी सरकार को मिले जनादेश को सहन नहीं कर पा रही है. उन्होंने दावा किया, ‘इस वजह से वे संसद को बाधित करके नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमने अपना वेतन छोड़ने का ऐतिहासिक फैसला किया है. अब कांग्रेसवाले फैसला करें कि वे क्या करना चाहते हैं. उन्हें इस देश की जनता को जवाब देना चाहिए.’ बजट सत्र के दूसरे चरण में दोनों सदनों में एक भी दिन प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं चला और लोकसभा में केवल वित्त विधेयक पारित हो सका है. उसे भी निचले सदन में हंगामे के बीच पारित कराना पड़ा.

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