All_Is_Not_Well : भारत के इंजीनियरिंग छात्र चीन और रूस के मुकाबले कमजोर
साल 2009 में आयी बॉलीवुड फिल्म ‘3इडियट्स’ में अभिनेता आमिर खान छात्रों से यह कहते-कहते थक गये कि सक्सेस के पीछेमत भाग, टैलेंट के पीछे भाग. सक्सेस झक मारकर तुम्हारे पीछे भागेगी. यह बात शायद अब तक भारतीय छात्रों की समझ में नहीं आयी है. इसकी एक बानगी पेश करता है स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड […]
साल 2009 में आयी बॉलीवुड फिल्म ‘3इडियट्स’ में अभिनेता आमिर खान छात्रों से यह कहते-कहते थक गये कि सक्सेस के पीछेमत भाग, टैलेंट के पीछे भाग. सक्सेस झक मारकर तुम्हारे पीछे भागेगी. यह बात शायद अब तक भारतीय छात्रों की समझ में नहीं आयी है. इसकी एक बानगी पेश करता है स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड बैंक का एक ताजा सर्वे. आइए जानें-
नयी दिल्ली : भारतीय छात्र मैथ्स और नये आइडिया के लिए जाने जाते हैं लेकिन बाकी मामलों में हमारे देश के छात्र चीन और रूस के छात्रों से पीछे रह जाते हैं.यह बात दीगर है कि आइआइटियन्स ने निश्चित तौर पर दुनिया को प्रभावित किया है, लेकिन साधारण कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र नौकरी के लिए कुशल नहीं हैं. वहीं विकसित देशों की बात करें, तो वहां के छात्र भारत के छात्रों के मुकाबले नौकरी के लिए कहीं ज्यादा सक्षम हैं.
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड बैंक का सर्वे
यह बात स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड बैंक द्वारा कराये गये एक सर्वे में सामने आयी है. दरअसल, पिछले दिनों वर्ल्ड बैंक और स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी ने 200 सरकारी और निजी इंजीनियरिंग संस्थानों के बीटेक के पहले और तीसरे साल के 5,000 छात्रों का सर्वे किया. इसी तरह का सर्वे चीन और रूस के इंजीनियरिंग छात्रों पर भी किया गया.
यहां भारतीय छात्रों का पलड़ा भारी
सर्वे में जो बात सामने आयी, उसके मुताबिक गणित और महत्वपूर्ण सोच कौशल में चीन और रूस के छात्रों के मुकाबले भारतीय छात्रों का पलड़ा भारी था. लेकिन समग्र रूप से उच्च स्तर पर सोचने-समझने की काबिलियत के मामले में भारतीय छात्र चीनी और रूसी छात्रों के मुकाबले पीछे रह जाते हैं.
भारतीय छात्रों की स्थिति
एक तरह से देखा जाये, तो यह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और विश्व बैंक का यह सर्वे अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग में भारतीय छात्रों की स्थिति की तस्दीक करता है. इस सर्वे में इंजीनियरिंग संस्थानों के प्रथम वर्ष और तीसरे वर्ष के बीटेक छात्रों काे शामिल किया गया था. सर्वे में यह पाया गया है कि भारतीय छात्रों ने इंजीनियरिंग के शुरुआती वर्षों में सब्जेक्ट को समझने में रूसी और चीनी छात्रों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन तीसरे और चौथे वर्ष में जाकर रूसी और चीनी छात्रों ने बाज मार ली.
वंचित वर्ग के छात्रों का प्रदर्शन बेहतर
यही नहीं, सर्वे में यह बात भी सामने आयी कि भारत के छात्र सुविधा संपन्न वर्ग के छात्रों के बराबर या ज्यादा स्किल हासिल करते हैं. इस स्टडी में भारत में अपेक्षाकृत वंचित वर्ग के छात्रों ने गणित में सुविधा संपन्न वर्ग के छात्रों के मुकाबले 0.228 पॉइंट्स ज्यादा स्कोर किया.
IIT के छात्र शामिल नहीं
बताते चलें कि इस सर्वे में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के छात्र शामिल नहीं थे. इस सर्वेक्षण के विस्तृत निष्कर्ष, जो विश्व बैंक द्वारा समर्थित तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (TEQIP) का हिस्सा है, इस सप्ताह एचआरडी मंत्रालय को औपचारिक रूप से पेश किया जायेगा.