सुप्रीम कोर्ट ने भी माना, जांच में वीडियोग्राफी शामिल करने का वक्त आ गया
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भारत में जांच एजेंसियां वीडियोग्राफी के प्रयोग के लिए पूरी तरह से सक्षम और तैयार नहीं हैं लेकिन समय आ गया है कि विधि के शासन को मजबूत करने के लिए जांच विशेषकर अपराध के स्थल की वीडियोग्राफी शुरू करने की दिशा में कदम उठाए जाएं. […]
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि भारत में जांच एजेंसियां वीडियोग्राफी के प्रयोग के लिए पूरी तरह से सक्षम और तैयार नहीं हैं लेकिन समय आ गया है कि विधि के शासन को मजबूत करने के लिए जांच विशेषकर अपराध के स्थल की वीडियोग्राफी शुरू करने की दिशा में कदम उठाए जाएं.
शीर्ष अदालत ने पुलिस जांच में वीडियोग्राफी के प्रयोग पर गृह मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति द्वारा तैयार कार्य योजना को मंजूरी देते हुए यह टिप्पणी की. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है.
पीठ ने गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि समिति द्वारा तैयार कार्य योजना को लागू करने के लिए केन्द्रीय पर्यवेक्षण निकाय (सीओबी) गठित की जाए. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हमारा विचार है कि भारत में जांच एजेंसियां भले ही वीडियोग्राफी के प्रयोग के लिए पूरी तरह से सक्षम और तैयार नहीं हैं, लेकिन समय आ गया है कि जांच विशेषकर अपराध स्थल की वीडियोग्राफी शुरू करने के लिए कदम उठाए जाएं.
पीठ ने कहा कि सीओबी इस मामले में न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण मोहन के इस सुझाव पर विचार कर सकती है कि इस परियोजना के लिए वित्तपोषण जहां तक संभव हो शुरुआत में केन्द्र द्वारा किया जा सकता है और एक केन्द्रीय सर्वर का गठन किया जा सकता है. अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए एक अगस्त की तारीख तय की.