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HRD की मंजूरी के बिना विश्व भारती विवि ने एक करोड़ रूपये से अधिक मानदेय का भुगतान : कैग

नयी दिल्ली : विश्व भारती विश्वविद्यालय ने नियमों का उल्लंघन करते हुये मार्च 2013 से 2017 के बीच एक करोड़ रूपये से अधिक के मानदेय का भुगतान किया. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ( कैग ) इस सप्ताह के शुरू में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विश्वविद्यालय ने एचआरडी मंत्रालय […]

नयी दिल्ली : विश्व भारती विश्वविद्यालय ने नियमों का उल्लंघन करते हुये मार्च 2013 से 2017 के बीच एक करोड़ रूपये से अधिक के मानदेय का भुगतान किया. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ( कैग ) इस सप्ताह के शुरू में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विश्वविद्यालय ने एचआरडी मंत्रालय से पूर्व अनुमति लिए बिना ही ‘ नियमित ‘ काम के लिए मानदेय का भुगतान किया. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है .

मार्च 2013 से मार्च 2017 की अवधि के दौरान विश्व भारती ने 165 संकाय सदस्यों या अधिकारियों को 1.07 करोड़ रूपये की राशि के मानदेय का भुगतान किया. ” इसमें बताया गया है कि विश्वविद्यालय ने नियमित काम के लिए भुगतान किया जो न तो आकस्मिक था और न ही रूक रूक कर दिया गया था. ऐसे मानदेय का भुगतान लागू नियमों के अनुरूप नहीं था.
विश्वविद्यालय ने पिछले साल जुलाई में मंत्रालय को बताया था कि राशि का भुगतान मानदेय के रूप में किया गया. यह छात्रों के हित में अतिरिक्त जिम्मेदारियों का वहन करने के लिए विशेष भत्ते के रूप में था और उसने अप्रैल 2017 से प्राचार्यों , संकाय प्रमुखों और प्रॉक्टरों के मानदेय का भुगतान रोक रखा है. कैग ने रिपोर्ट में कहा है , जवाब मुनासिब नहीं है क्योंकि मानदेय का भुगतान एक विशेष भत्ते के रूप में किया गया है जो प्रावधानों के दायरे के अंतर्गत नहीं आता है और विश्वविद्यालय ने इसके लिए मंत्रालय से कोई अनुमति नहीं ली.

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