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10 अप्रैल को उच्च जाति संगठनों के प्रस्तावित भारत बंद के मद्देनजर मध्यप्रद्रेश में विशेष सतर्कता

एक अप्रैल को बंद के दौरान भड़की थी हिंसाहर जिले के एसपी को अलर्ट किया गया है भोपाल : गत दो अप्रैल को दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान मध्यप्रदेश के ग्वालियर, मुरैना और भिंड में हुई हिंसा के बाद, उच्च जातियों के संगठनों द्वारा 10 अप्रैल को प्रस्तावित भारत बंद तथा 14 अप्रैल […]


एक अप्रैल को बंद के दौरान भड़की थी हिंसा
हर जिले के एसपी को अलर्ट किया गया है

भोपाल : गत दो अप्रैल को दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान मध्यप्रदेश के ग्वालियर, मुरैना और भिंड में हुई हिंसा के बाद, उच्च जातियों के संगठनों द्वारा 10 अप्रैल को प्रस्तावित भारत बंद तथा 14 अप्रैल को संविधान निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर की जयंती के मद्देनजर प्रशासन पूरी तरह सतर्कता बरत रहा है. दलित संगठनों ने अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून को कथित तौर पर शिथिल किए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध में गत दो अप्रैल को भारत बंद आयोजित किया था. इस दौरान मध्यप्रदेश में हुई हिंसा मेंआठ लोगों की मौत हो गयी थी.

इंटेलीजेंस की सूचना के बाद भी नहीं रुकी थी हिंसा

बताया जाता है कि मध्यप्रदेश पुलिस की इंटेलीजेंस शाखा की पूर्व चेतावनी के बावजूद दो अप्रैल को प्रदेश के तीन जिलों ग्वालियर, मुरैना और भिंड में हिंसा रोकी नहीं जा सकी. इन जिलों में आठ लोगों की मौत हो गयी. पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘‘ मध्यप्रदेश पुलिस की इंटेलीजेंस शाखा ने प्रदेश के सभी जिला पुलिस प्रमुखों को दलित संगठनों के दो अप्रैल के भारत बंद के दौरान सतर्क रहने की चेतावनी लिखित में 31 मार्च और एक अप्रैल को भेजी थी.’

उन्होंने बताया कि यह चेतावनी भोपाल और इंदौर के डीआइजी और प्रदेश के 49 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भेजी गयी थी. यह चेतावनी मैसेंजिंग एप वाट्सअप के जरिये भी पूरे प्रदेश में कई बार जारी की गयी थी. पुलिस की इंटेलीजेंस शाखा के अधिकारी ने कहा कि उच्च जातियों के संगठनों द्वारा 10 अप्रैल को होने वाले भारत बंद को लेकर हम पूरी तरह सतर्कता बरत रहे हैं और हालात पर गहरी नजर रखे हुए हैं. 14 अप्रैल को संविधान निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर की जयंती है जिसे लेकर भी हम ऐहतियात बरत रहे हैं. उन्होंने कहा कि इंटेलीजेंस की चेतावनी को देखते हुए पुलिस मुख्यालय द्वारा 25 मार्च को रामनवनी के मौके पर संवदेशनशील जिलों में तैनात किये गये विशेष सशस्त्र बल को हटाया नहीं गया है. अलग-अलग जिलों में अतिरिक्त बल अब भी तैनात हैं. बंद के दौरान भिंड जिले में हिंसा से प्रदेश में सबसे अधिक चार लोगों की मौतहुई.

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भिंड के पुलिस अधीक्षक प्रशांत खरे को इस संबंध में प्रतिक्रिया केलिए कई दफा संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. दो अप्रैल को बंद के दौरान हिंसा होने पर ग्वालियर में तीन और मुरैना में एक व्यक्ति की मौत भी हुई. कुल आठ मृतकों में से छह दलित और दो उच्च जाति के लोग हैं. उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के बारे में उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर दो अप्रैल को दलित संगठनों ने भारत बंद का आयोजन किया था. उस दौरान हुई हिंसा के बाद तीन स्थानों बालाघाट, भिंड और सतना जिलों में अंबेडकर की प्रतिमा को कथित तौर पर क्षतिग्रस्त करने की घटनाएंहुईं. बालाघाट में नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रहे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकजीजनार्दन ने फोन पर बताया कि जिले में तीन अप्रैल को अंबेडकर की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

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