SC ने धन गबन के मामले में 31मई तक तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी पर रोक लगायी

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने धन के गबन के मामले में तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की प्राप्त अंतरिम संरक्षण और ट्रांजिट अग्रिम जमानत की अवधि आज 31 मई तक बढ़ा दी. बंबई हाईकोर्ट ने इन दोनों को दो मई तक के लिए यह संरक्षण प्रदान किया था. शीर्ष अदालत ने तीस्ता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2018 5:15 PM


नयी दिल्ली :
सुप्रीम कोर्ट ने धन के गबन के मामले में तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की प्राप्त अंतरिम संरक्षण और ट्रांजिट अग्रिम जमानत की अवधि आज 31 मई तक बढ़ा दी. बंबई हाईकोर्ट ने इन दोनों को दो मई तक के लिए यह संरक्षण प्रदान किया था. शीर्ष अदालत ने तीस्ता और उनके पति से कहा कि वे गुजरात में सक्षम अदालत से अग्रिम जमानत प्राप्त करें.

न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ , न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौदर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि यदि तीस्ता और उसके पति राहत के लिए अनुरोध करते हैं तो संबंधित अदालत को गुण दोष के आधार पर इस पर फैसला करना चाहिए. गुजरात सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता का कहना था कि हाईकोर्ट ने सरासर गैरकानूनी आदेश दिया है और उसे ट्रांजिट अग्रिम जमानत नहीं देनी चहिए थी.

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तीस्ता और उनके पति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट ने ट्रांजिट जमानत देकर सही किया है क्योंकि कथित अपराध महाराष्ट्र में एक शैक्षणिक परियोजना से संबंधित है. उन्होंने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय को ट्रांजिट जमानत देने का अधिकार था. पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट व्यवस्था है कि जहां प्राथमिकी दर्ज होती है , उसी राज्य की संबंधित अदालत के पास अधिकार क्षेत्र होता है. उच्च न्यायालय ने पांच अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि तीस्ता और उनके पति के खिलाफ धन के गबन के आरोप में गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज आपराधिक मामले में दोनों को दो मई तक गिरफ्तारी नहीं किया जाना चाहिए.

अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने एक शिकायत पर इस दंपती के खिलाफ गबन का मामला दर्ज किया है. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने 2008 से 2013 के दौरान भारत सरकार से अपने गैर सरकारी संगठन सबरंग ट्रस्ट के माध्यम से धोखाधड़ी करके 1.4 करोड़ रूपये का अनुदान प्राप्त किया था. गुजरात पुलिस के अनुसार यह धन 2002 के दंगा पीडि़तों की मदद के लिए प्राप्त किया गया था लेकिन दूसरे कार्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया गया.

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