घुसपैठ, घुसपैठिया और राजनीति
भारत में घुसपैठ का सवाल लंबे समय से राजनैतिक सवाल बना हुआ है. वैसे घुसपैठियों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. 2001 की जनगणना में प्रवासियों की तादाद के बारे में बताया गया है पर अनधिकृत रूप से भारत की सीमा में दाखिल हुए लोगों के बारे में कोई आंकड़ा नहीं […]
भारत में घुसपैठ का सवाल लंबे समय से राजनैतिक सवाल बना हुआ है. वैसे घुसपैठियों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. 2001 की जनगणना में प्रवासियों की तादाद के बारे में बताया गया है पर अनधिकृत रूप से भारत की सीमा में दाखिल हुए लोगों के बारे में कोई आंकड़ा नहीं है. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा बांग्लादेश से आये हैं. दूसरे स्थान पर पाकिस्तान से आने वाले सिखों और हिन्दुओं की तादाद है.
पिछली जनगणना के मुताबिक बांग्लादेश से आने वालों की संख्या लगभग 31 लाख थी. सिर्फ आसाम में ही 20 लाख बांग्लादेशी रहते हैं. हालांकि यह आंकड़ा अनुमान के आधार पर है. भारतीय सांख्यिकी संस्थान के समीर गुहा रॉय भी इस तादाद को सही नहीं मानते. उनका कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठ के बारे में, उसकी संख्या को जानबुझकर बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है. रॉय का मानना है कि 1981 से 91 के बीच औसतन हर साल 91 हजार बांग्लादेशी भारत आये. लेकिन इसमें से कितनों को वापस भेजा गया, इसके बारे में जानकारी नहीं है. भारत में बांग्लादेशियों की संख्या सबसे अधिक होने की वजह सस्ती यातायात का होना है. बांग्लादेश से भारत आने में करीब दो हजार रुपये लगते हैं. दुनिया में किसी दो देशों के बीच आने-जाने का सबसे कम खर्च है. बांग्लादेशियों की भाषा भारतीयों की तरह ही है. इसलिए वे देश के किसी भी कोने में पहुंच जाते हैं और स्थानीय आबादी के साथ घुलमिल जाते हैं. पुलिस के लिए उन्हें पकड़ना आसान नहीं होता. वे भारत में जाली दस्तावेज बनवाकर स्थायी रूप से रहने लगते हैं.
देश के पश्चिम बंगाल, असम और बिहार ऐसे तीन राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं. बिहार में घुसपैठियों के खिलाफ 1970 से ही हिन्दूवादी संगठन सक्रिय रहे हैं. असम में बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ आंदोलन होते रहे हैं. इसकी शुरुआत 1979 से पहले ऑल असाम स्टुडेंट यूनियन ने की थी. यह संगठन बांग्लादेश से होने वाले घुसपैठ पर रोक लगाने के अलावा यहां बस चुके लोगों को वापस भेजने की मांग करता रहा. उनके विरोध ने कई बार नस्लीय हिंसा का रूप ले लिया. इसका परिणाम 1983 का नेयली नरसंहार था. 1985 में असम समझौते के तहत छात्र संगठन की ओर से इस मुद्दे को नहीं उठाने का करार हुआ था. उसके बाद ही केंद्र सरकार ने भारत और बांग्लादेश की सीमा पर बाड़ लगाने का काम शुरू किया था. हालांकि असम में अब भी वैद्य रूप से रह रहे मुसलिम बंगालियों की संख्या सबसे ज्यादा है. ऐसे में बांग्लादेश से आये घुसपैठियों को छांटना मुश्किल है.
अमेरिका
अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों की संख्या 70 लाख से दो करोड़ के बीच होने का अनुमान है. यहां मैक्सिको के नागरिक सबसे ज्यादा संख्या में अवैध रूप से रह रहे हैं. लॉस एंजिलिस टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार 2010 में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के 55 लाख बच्चे थे. इनमें से 45 लाख बच्चों का जन्म अमेरिका में हुआ था और इस तरह वे अमेरिका के नागरिक हो गये. यहां मार्च 2009 से मार्च 2010 के बीच जन्मे आठ प्रतिशत बच्चों के माता-पिता में से कोई एक अवैध रूप से यहां रह रहा है.
रूस
यहां हर साल औसतन दो लाख लोग अवैध रूप से आते हैं. एक जानकारी के अनुसार रूस में 1.2 करोड़ लोग अवैध रूप से रह रहे हैं. जाजिर्या, आरमेनिया, अजरबैजान, तजाकिस्तान और उज्बेगिस्तान के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है जो अवैध तरीके से रह रहे हैं. कई इलाकों में अवैध प्रवासियों की जन्म दर इतनी अधिक है कि वहां मूल रूसी लोग ही अल्पसंख्यक हो गये हैं. रूस के पूर्वी इलाके में चीन के नागरिकों की जनसंख्या भी बहुत अधिक है.
ऑस्ट्रेलिया
सरकारी आंकड़ों के अनुसार विदेश से आने वाले 50 हजार से ज्यादा लोग वीजा की समय सीमा से ज्यादा वक्त तक ठहरे. अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए 2013 में एक कानून बनाया गया. इस कानून के तहत नियोक्क्ताओं को यह सुनिश्चित करना है कि उनके यहां काम करने वाले दूसरे देश के कर्मचारियों के पास आस्ट्रेलिया में रहने और काम करने के लिए वैद्यता प्राप्त है या नहीं?
कनाडा
यहां 35 हजार से लेकर 1 लाख 20 हजार तक अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की संख्या होने का अनुमान है. 2008 में ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट के अनुसार अवैध रूप से रह रहे 41 हजार विदेशी नागरिकों के बारे में कनाडा सरकार के पास कोई सूचना नहीं थी. हैरानी की बात है कि वहां काम के अस्थायी परमिट का सिलसिला शुरू होने के बाद अवैध रूप से रहने वाले प्रवासियों की संख्या में इजाफा हुआ है.
मलेशिया
मलेशिया में करीब आठ लाख से ज्यादा विदेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं. इस पर रोक के लिए जनवरी 2009 में मलेशिया ने अपने यहां के कारखानों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, रेस्टोरेंट और होटलों में विदेशी कामगारों को रखने पर रोक लगा दी. एक भारतीय मूल के मलेशियाई को अपने रेस्टोरेंट में अवैध रूप से छह लोगों को रखने पर दस माह की सजा हुई थी.
अंगोला
वर्ष 2007 में 44 हजार से ज्यादा कांगो देश के नागरिकों को जबरन अंगोला से वापस उनके देश भेजा गया. वर्ष 2004 से चार लाख से ज्यादा कांगो नागरिक अवैध रूप से अंगोला से वापस किये गये.
दुनिया भर में घुसपैठ
दुनिया के कई देशों में घुसपैठ की समस्या है. इसे रोकने के लिए इन देशों में कड़े कानून बनाये गये हैं. इसके बावजूद यह मसला अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, भारत सहित कई देशों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से प्रवासी कानून को सख्त बनाने का अनुरोध किया है. आइए देखें कि घुसपैठ से कौन-कौन देश जूझ रहे हैं.