नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को कर्नाटक की उस महिला को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया जिसका आरोप है कि उसकी सहमति के बगैर ही उसकी शादी की गयी है. 26 साल की यह महिला कर्नाटक के एक राजनेता की बेटी है और शादी समारोह के बाद यह अपने घर से भाग गयी है. उक्त महिला इस समय दिल्ली में रह रही है और दिल्ली महिला आयोग उसकी मदद कर रहा है. इस महिला ने हिंदू विवाह कानून के कुछ प्रावधानों को इस आधार पर निरस्त करने का अनुरोध किया है कि इसमें वर या वधू की सहमति अनिवार्य नहीं है.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि इसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के रूप में लिया जायेगा और कानून के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता के मुद्दे पर विचार नहीं किया जायेगा. पीड़ित महिला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने पीठ से यह अनुरोध किया था. पीठ ने टिप्पणी की हिंदू विवाह कानून की धारा 12- सी में प्रावधान है कि यदि जबरन अथवा छल से सहमति ली गयी है तो विवाह को अमान्य कराया जा सकता है.
उन्नाव गैंगरेप : एडीजी राजीव कृष्ण बोले – पीड़ित परिवार को पूरी सुरक्षा, आज शाम सरकार को सौंपेंगे रिपोर्ट
न्यायालय इस अनुरोध से सहमत हो गया कि इस महिला और उसके परिवार के सदस्यों , जिन्होंने उसे विवाह के लिए बाध्य किया , की पहचान का खुलासा नहीं किया जाये. पीठ ने संबंधित पुलिस अधीक्षक को प्रतिवादियों पर नोटिस की तामील करने का निर्देश देते हुये इस मामले को पांच मई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. सुनवाई के दौरान जयसिंह ने कहा कि महिला को शादी के लिए बाध्य किया गया है और इसीलिए वह अब संरक्षण चाहती है.