नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने 15 स्कूलों को मौजूदा शिक्षण सत्र में नर्सरी की कम से कम दो सीटें विशेष जरुरतों वाले बच्चों के लिए आरक्षित रखने संबंधी सकरुलर जारी करने का अपना आदेश लागू नहीं होने पर आज दिल्ली सरकार के एक शीर्ष अधिकारी को अपने समक्ष पेश होने को कहा है. न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति विभु बाखरु की पीठ ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से अदालत में मौजूद रहने को कहा और अदालत के 7 मई के आदेश का पालन नहीं करके जानबूझकर चूक करने के आरोप वाली अवमानना याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है.
पीठ ने सरकार की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि प्रवेश प्रक्रिया के दौरान दिशानिर्देश बदले नहीं जा सकते. अदालत ने कहा कि उसने विकलांग जन अधिनियम के तहत ही आदेश दिया था. अदालत ने कहा, ‘‘अगली तारीख पर प्रधान सचिव, शिक्षा उपस्थित रहें. ’’ अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 16 मई की तारीख तय की.विशेष आवश्यकता वाले एक बालक के पिता प्रमोद अरोरा की याचिका पर यह आदेश सुनाया गया. वरिष्ठ वकील कीर्ति उप्पल और अधिवक्ता अंशुमान साहनी के माध्यम से दाखिल अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया है कि अदालत के 7 मई के आदेश के बावजूद सरकार ने आज तक कोई सर्कुलर जारी नहीं किया. पीठ ने 7 मई को दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि 15 निजी स्कूलों को 24 घंटे के अंदर सकरुलर जारी किया जाए.