नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट नेकेंद्रसरकार से पूछा है कि ‘आधार’ अर्थव्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने वाली धन शोधन (मनी लांडरिंग) की समस्या पर लगाम कैसे कसेगा. चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने यह सवाल उस समय पूछा, जब भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) द्वारा उससे कहा गया कि हवाला लेन-देन और धन शोधन की समस्याएं वैश्विक चिंताएं हैं और उन पर काबू करने में आधार मददगार साबित होगा. यह पीठ आधार और इससे जुड़े 2016 के कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
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सुनवाई के 27वेंदिन सरकार ने यह भी दावा किया कि अधिकारियों ने 33 हजार करोड़ रुपये का पता लगाया है, जिन पर पहले कभी कर नहीं लगा. यह आधार के साथ पैन कार्ड ‘स्वैच्छिक रूप से जोड़े जाने से’ संभव हुआ और अगर उनको जोड़ना अनिवार्य बनाया गया, तो इसमें ‘बहुत’ इजाफा हो सकता है. सरकार ने कहा कि पैन को आधार संख्या से जोड़ने से आयकर चोरी, ब्लैक मनी का प्रचलन और इसका प्रयोग रुकेगा. इसके अलावा कर चोरी के उद्देश्य से दो पैन कार्ड का प्रचलन भी रुकेगा.
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पीठ ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि धन शोधन एक समस्या है. एकमात्र सवाल, जिसका जवाब दिया जाना चाहिए कि आधार धन शोधन कैसे रोकेगा. यूआइडीएआइ की ओर से पेश अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आधार को पैन कार्ड, बैंक खातों तथा अन्य सुविधाओं से जोड़ने से अधिकारियों को धन शोधन के वैश्विक खतरे से असरदार तरीके से निबटने में मदद मिलेगी.