नयी दिल्ली : सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कानून पर फैसला बेहद संवेदनशील मुद्दे से संबंधित है जिसके कारण देश में गुस्सा, बैचेनी और असहमति का भाव पनपा है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसके फैसले ने एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया है. सरकार की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट को इस संबंध में पिछले दिनों दिये गये फैसले को वापस लेकर या उस पन पुनर्विचार करइसपरफैले भ्रम को दूर किया जा सकता है.
अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आज इस संबंध में शीर्ष अदालत में सरकार की ओर से लिखित रूप में पक्ष रखा. सरकार की ओर से कहा गया है कि कार्यपालिका व विधायिका के बीच शक्तियों का अलग-अलग बंटवारा है. सरकार की ओर से कहा गया कि सुप्रीप कोर्ट ने जो फैसला दिया उससे देश को बड़ा नुकसान हुआ. उल्लेखनीय है कि 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला में कहा था कि एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों के तहत तुरंत गिरफ्तारी नहीं हो सकती है.
सरकार की ओर से कहा गया है कि एससी-एसटी वर्ग के लोग सताए हुए हैं. अदालत के फैसले से पुलिस मामले को टालने लगेगी और केस दर्ज नहीं होंगे.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद विभिन्न संगठनों ने दो अप्रैल को भारत बंद बुलाया, जिसमें व्यापाक हिंसा फैली. इसके बाद इस मामले में सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की.