नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कठुआ में नन्ही बच्ची से सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड में वकीलों द्वारा पीड़िता की वकील को अदालत में पेश होने से रोकने की घटना का संज्ञान लेतेहुए आज बार संगठनों को नोटिस जारी किये. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, राज्य बार काउंसिल, जम्मू उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन और कठुआ जिला बार एसोसिएशन को नोटिस जारी किये.
इन सभी से 19 अप्रैल तक जवाब मांगे गये हैं. शीर्ष अदालत इस मामले का उस समय स्वत : संज्ञान लेने केलिए तैयार हो गयी जब कई वकील इस घटना से संबंधित सामग्री लेकर उसके समक्ष आये. इससे पहले, सबेरे जब कुछ वकीलों ने इस मामले के संबंध में कठुआ और जम्मू और कश्मीर बार एसोसिएशनों की हड़ताल के आह्वान का न्यायिक संज्ञान लेने का अनुरोध करतेहुए इसका उल्लेख किया था तो न्यायालय ने उनसे कहा कहा था कि वे कुछ सामग्री और तथ्य तो पेश करें.
जम्मू कश्मीर सरकार के वकील शोएब आलम ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में मजिस्ट्रेट के समक्ष कल आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. आलम ने मामले की सीबीआइ जांच की शीर्ष अदालत के कुछ वकीलों की मांग का विरोध किया और कहा कि राज्य की अपराध शाखा इस घटना की गहराई से जांच कर रही है. आलम को प्रधान न्यायाधीश के न्यायालय में बुलाया गया था. उन्होंने कहा कि वैसे भी यह स्थापित व्यवस्था है कि अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो को नहीं सौंपी जा सकती है. आलम ने कहा, ‘‘ पुलिस दल से वकीलों ने धक्का मुक्की की और उसे कठुआ में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने से रोका.’ उन्होंने कहा कि इसके बाद पुलिस ने मजिस्ट्रेट के घर पर आरोपियों को अदालत में पेश किया और आरोप पत्र दाखिल किया.
इस घटना में जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के निकट एक गांव में अपने घर के पास खेल रही यह नाबालिग बच्ची दस जनवरी को लापता हो गयी थी. एक सप्ताह बाद उसी इलाके में बच्ची का शव मिला था. पुलिस की अपराध शाखा ने इस मामले की जांच की और सात आरोपियों के खिलाफ मुख्य आरोप पत्र दाखिल किया जबकि इस सप्ताह के प्रारंभ में किशोर के खिलाफ कठुआ की एक अदालत में अतिरिक्त आरोप पत्र दाखिल किया.