नौजवानों की चिंता करना सरकार का दायित्व, किसी भी स्थिति में शस्त्र न उठाएं : नरेंद्र मोदी
रायपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंसा के रास्ते पर गये नौजवानों से शनिवार को कहा कि उनके अधिकारों की चिंता करना सरकार का दायित्व है. उन्हें शस्त्र उठाने की जरूरत नहीं है. मोदी ने नक्सल प्रभावित बीजापुर के जांगला गांव में ‘आयुष्मान भारत’ के पहले चरण की शुरूआत करने के बाद एक सभा को […]
रायपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंसा के रास्ते पर गये नौजवानों से शनिवार को कहा कि उनके अधिकारों की चिंता करना सरकार का दायित्व है. उन्हें शस्त्र उठाने की जरूरत नहीं है. मोदी ने नक्सल प्रभावित बीजापुर के जांगला गांव में ‘आयुष्मान भारत’ के पहले चरण की शुरूआत करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह नौजवानों से शासन की योजनाओं का लाभ उठाने की अपील करते हैं.
उन्होंने कहा कि शनिवार को बाबा साहब आंबेडकर की जयंती पर वह हिंसा के रास्ते पर गये नौजवानों से कहना चाहेंगे कि बाबा साहब आंबेडकर ने हमें संविधान दिया है. आपके हकों की रक्षा का पूरा ख्याल बाबा साहब आंबेडकर के संविधान में है. आपके हकों की चिंता करना सरकार का दायित्व है. आपको शस्त्र उठाने की जरूरत नहीं है. जिंदगी तबाह करने की जरूरत नहीं है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह माताओं और पिताओं को कहना चाहते हैं कि आपके बच्चे, आपके बेटे बेटियां किस राह पर चल पड़े हैं. लेकिन जरा सोचिए उनके मुखिया कौन हैं. उनका एक भी मुखिया आपके इलाके का नहीं है. आपके बीच में पैदा नहीं हुआ है. वह कहीं बाहर से आये हैं. वे मरते नहीं हैं, वे जंगलों में छिपकर सुरक्षित रहते हैं और आपके बच्चों को आगे करके उनको मरवा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आपके बच्चों को स्कूली शिक्षा मिले. आपके फसलों का पूरा दाम मिले. आपको सम्मान की जिंदगी मिले. दवाई हो, पढ़ाई हो, कमाई हो, ये सारी आवश्कताएं पूरी हों. प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षक आ सकें इसलिए सुरक्षा बल के जवान जिंदगी खपा देते हैं. आपके यहां रास्ता बने, सड़क बने इसलिए वे बलिदान देते हैं. आपके यहां टेलीफोन का टावर लग जाए इसलिए वह गोलियां खाता है. विकास के लिए वह मुट्ठी में जिंदगी को लिए सेवा करने के लिए आया है.
मोदी ने लोगों से विकास के रास्ते पर चलने और देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का आह्वान किया. मोदी ने अपने भाषण की शुरूआत ‘बाबा साहब आंबेडकर अमर रहे’ के नारे से की और स्थानीय हल्बी बोली में लोगों का अभिवादन किया. इस दौरान उन्होंने बस्तर के शहीदों को याद किया.