कठुआ गैंग रेप : पीड़िता की पहचान बताने पर मीडिया हाउसों ने मांगी माफी, 10-10 लाख रुपये जुर्माना
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को 12 मीडिया हाउसों को निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बलात्कार पीड़िता की पहचान का खुलासा करने को लेकर वे 10-10 लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान करें. न्यायालय ने यह भी संकेत दिया कि वह पीड़िता की पहचान का खुलासा करने […]
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को 12 मीडिया हाउसों को निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बलात्कार पीड़िता की पहचान का खुलासा करने को लेकर वे 10-10 लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान करें.
न्यायालय ने यह भी संकेत दिया कि वह पीड़िता की पहचान का खुलासा करने को लेकर माफी मांग चुके मीडिया हाउसों की ओर से जम्मू-कश्मीर पीड़ित मुआवजा कोष में जमा की जानेवाली इस राशि में बढ़ोतरी कर सकता है. उच्च न्यायालय ने मीडिया हाउसों से कहा कि वे तीन दिनों में अलग-अलग हलफनामा दायर कर अपने बर्ताव पर स्पष्टीकरण दें. उन्हें यह निर्देश भी दिया गया कि 10-10 लाख रुपये की मुआवजा राशि वे एक हफ्ते के भीतर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के दफ्तर में जमा करायें. मीडिया हाउसों की ओर से दी जानेवाली मुआवजा राशि जम्मू-कश्मीर विधिक सेवा प्राधिकार के बैंक खाते में डाली जायेगी और इस रकम का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर पीड़ित मुआवजा कोष के लिए किया जायेगा.
संबंधित मीडिया हाउसों पर शुरू में 25-25 लाख का जुर्माना लगाने का सुझाव देनेवाले न्यायालय ने बाद में कहा कि फिलहाल उन्हें 10-10 लाख रुपये जमा करना चाहिए. न्यायालय ने जिन 12 मीडिया हाउसों को नोटिस जारी किया था उनमें से नौ ने बुधवार को अपने वकीलों के जरिये अदालत में अपनी मौजूदगी दर्ज करायी. शुरुआत में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि वे मीडिया हाउसों के संपादकों को अदालत में मौजूद देखना चाहते हैं ताकि क्योंकि ‘कोई रेखा तो खींचनी होगी.’ पीठ ने कहा कि किसी बलात्कार पीड़िता की पहचान का खुलासा करने के नतीजे सारे परिवार को भुगतने पड़ते हैं और उन्हें सामाजिक बहिष्कार का भी शिकार होना पड़ता है.
मीडिया हाउसों की तरफ से पेश हुए वकीलों ने अदालत को बताया कि पीड़िता के नाम के खुलासे और तस्वीर दिखाने की भूल इसलिए हुई क्योंकि वे कानून से वाकिफ नहीं थे. उन्होंने कहा कि एक गलतफहमी थी कि वे पीड़िता का नाम ले सकते हैं, क्योंकि उसकी मौत हो चुकी है और इससे आरोपियों पर केस चलाने में मदद मिल सकती है. पीठ ने यह निर्देश भी दिया कि यौन अपराधों की पीड़ितों की निजता से जुड़े कानूनी प्रावधानों को व्यापक तौर पर प्रचारित-प्रसारित किया जाये और यह भी बताया जाये कि उनकी पहचान का खुलासा करने पर दोषी को सजा हो सकती है.
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण कानून की धारा 23 में बाल पीड़ितों के यौन उत्पीड़न के मामलों की मीडिया में रिपोर्टिंग की प्रक्रिया बतायी गयी है, जबकि आईपीसी की धारा 228 ए में ऐसे अपराधों की पीड़ितों की पहचान का खुलासा करने से जुड़े प्रावधान हैं. यौन अपराधों की पीड़ितों का खुलासा करने पर दो साल तक की जेल की सजा हो सकती है और जुर्माना लगाया जा सकता है. बीते 13 अप्रैल को उच्च न्यायालय ने कठुआ कांड की पीड़िता की पहचान का खुलासा करने पर 12 मीडिया हाउसों के नोटिस जारी किया था.