Aadhar पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, कहा-आश्वस्त नहीं कि लाभ पहुंचाने का यह सर्वश्रेष्ठ मॉडल

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवारको कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि ‘आधार’ के जरिये लोगों को अधिकारियों के आमने-सामने लाना सर्वश्रेष्ठ मॉडल है, बल्कि सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के फायदे पहुंचाने के लिए उन तक पहुंचना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षतावाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ आधार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2018 11:02 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवारको कहा कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि ‘आधार’ के जरिये लोगों को अधिकारियों के आमने-सामने लाना सर्वश्रेष्ठ मॉडल है, बल्कि सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के फायदे पहुंचाने के लिए उन तक पहुंचना चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षतावाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ आधार और इससे संबद्ध 2016 के कानून को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. पीठ से भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के वकील ने कहा कि 12 अंकोंवाले आधार ने लाभ पाने के लिए नागरिकों को सेवा मुहैया करनेवालों के आमने सामने ला दिया है. पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल हैं. न्यायालय ने कहा, ‘हम इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि यह सर्वश्रेष्ठ मॉडल है. व्यक्ति को एक निवेदक नहीं होना चाहिए. सरकार को उसके पास जाना चाहिए और उसे लाभ प्रदान करना चाहिए.’

पीठ ने कहा कि यूआईडीएआई का कहना है कि आधार पहचान करने का एक माध्यम है, लेकिन किसी को बाहर भी नहीं किया जाना चाहिए. यूआईडीएआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कहा कि विकास यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि लोग गरीबी से मुक्त हैं. पीठ ने कहा कि एक ओर लोगों को गरीबी से मुक्त कराना है, वहीं दूसरी ओर निजता का अधिकार भी है. यूआईडीएआई ने हाथ से मैला उठाने और वेश्यावृत्ति जैसी सामाजिक बुराइयों का जिक्र किया और कहा कि कानून के बावजूद ये बुराइयां समाज में धड़ल्ले से व्याप्त हैं और शीर्ष न्यायालय को नागरिकों के मूल अधिकारों का निपटारा करने में संतुलन बनाना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version