मनमोहन सिंह के विदाई भोज में नहीं दिखे राहुल, विपक्ष का हमला
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सम्मान में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार रात विदाई भोज दिया जिसमें अनेक पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री शामिल हुए. सोनिया के आवास 10, जनपथ पर पार्टी ने 81 वर्षीय सिंह को 10 वर्ष तक कांग्रेस नीत सरकार की अगुवाई करने के आभार स्वरुप भोज दिया. इसी हफ्ते […]
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सम्मान में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार रात विदाई भोज दिया जिसमें अनेक पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री शामिल हुए. सोनिया के आवास 10, जनपथ पर पार्टी ने 81 वर्षीय सिंह को 10 वर्ष तक कांग्रेस नीत सरकार की अगुवाई करने के आभार स्वरुप भोज दिया.
इसी हफ्ते पद छोड रहे मनमोहन सिंह को इस मौके पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के हस्ताक्षर वाला स्मृति-चिह्न भेंट किया गया और पल्लम राजू ने इस पर प्रधानमंत्री के सम्मान और प्रशंसा में लिखे शब्दों को पढा. रात्रिभोज में सिंह अपनी पत्नी गुरशरण कौर के साथ उपस्थित हुए. इस दौरान पार्टी के नेता उन दोनों तथा सोनिया गांधी के साथ तस्वीर खिंचाने के लिए उत्साहित दिखे. हालांकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी रात्रिभोज में नहीं दिखाई दिये.
अर्थशास्त्री से राजनेता बने मनमोहन सिंह ने कुछ दिन पहले संन्यास की घोषणा करते हुए कहा था कि वह तीसरे कार्यकाल की दौड में नहीं हैं. पार्टी ने कल ही सरकार के कुशल प्रबंधन के लिए सिंह की तारीफ की थी और इस बात को रेखांकित किया था कि उन्होंने कठिनाइयों में भी देश का नेतृत्व किस तरह किया.
एआईसीसी ने कल कहा था, ‘‘सिंह का अनुभवी प्रबंधन, उनकी व्यक्तिगत निष्ठा और कठिन समय में देश का नेतृत्व करने की क्षमता उल्लेखनीय है और भारत को 10 साल की अवधि में इतने सम्मान और प्रशस्ति मिलने पर गर्व है.’’ सोनिया गांधी समेत पार्टी के नेताओं ने अकसर संप्रग-1 और संप्रग-2 के कार्यकाल में सिंह के कामकाज की प्रशंसा की है.
सिंह लोकसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के एक दिन बाद 17 मई को पद छोड देंगे. उन्होंने प्रधानमंत्री के रुप में दूसरे कार्यकाल के लिए 22 मई, 2009 को पद संभाला था और उन्हें जवाहरलाल नेहरु तथा इंदिरा गांधी के बाद तीसरी सबसे लंबे समय तक चलने वाली सरकार का अगुवा होने का गौरव भी प्राप्त है.
राजनीति में आने से पहले आरबीआई के गवर्नर रह चुके सिंह ने 1991 में सियासी रास्ता अपनाया और तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने उन्हें वित्त मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी. सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों का जनक भी कहा जाता है.