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नरोदा पाटिया दंगा: बाबू बजरंगी की सजा बरकरार, माया कोडनानी बरी

अहमदाबाद : गुजरात दंगों से जुड़े नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में अहमदाबाद हाई कोर्ट ने आज बाबू बजरंगी की ताउम्र कारावास की सजा बरकरार रखा है जबकि गुजरात की भाजपा सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी किया है. आपको बता दें कि माया कोडनानी को निचली अदालत ने 28 साल कारावास की सजा […]

अहमदाबाद : गुजरात दंगों से जुड़े नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में अहमदाबाद हाई कोर्ट ने आज बाबू बजरंगी की ताउम्र कारावास की सजा बरकरार रखा है जबकि गुजरात की भाजपा सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी किया है. आपको बता दें कि माया कोडनानी को निचली अदालत ने 28 साल कारावास की सजा सुनायी थी. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हाई कोर्ट में माया कोडनानी के पक्ष में गवाही दी थी.यहां चर्चा कर दें कि मामले पर सुनवाई पिछले साल अगस्‍त में ही पूरी हो गयी थी, जिसके बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

कोर्ट ने 32 आरोपियों में से 17 आरोपियों को बरी किया है जबकि 12 की सजा बरकरार रखी है. 1 की मौत हो चुकी है और 2 अभियुक्तों पर फैसला आना बाकी.

नरोदा पाटिया दंगा क्या है ?

गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के दौरान अहमदाबाद में स्‍थ‍ित नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्‍या की गयी थी. इस दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे. घटना को गोधरा में साबरमती एक्‍सप्रेस ट्रेन को जलाए जाने के एक दिन बाद अंजाम देने का काम किया गया था. दरअसल, साबरमती एक्‍सप्रेस ट्रेन को जलाए जाने के बाद विश्‍व हिन्‍दू परिषद (वीएचपी) ने बंद का आह्वान किया था. इस दौरान नरोदा पाटिया इलाके में उग्र भीड़ ने अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोगों पर हमला किया था.
कब क्‍या हुआ?
25 फरवरी 2002: अयोध्या से 2000 से ज़्यादा कारसेवक साबरमती एक्सप्रेस से अहमदबाद जाने के लिए सवार हुए थे.
27 फरवरी 2002: गोधरा में साबरमती एक्‍सप्रेस 4 घंटे की देरी से पहुंची. यहां एक भीड़ ने ट्रेन को घेर कर आग लगा दी जिसमें 59 कारसेवकों की जान चली गयी. इस मामले में अदालत ने 31 लोगों को दोषी ठहराया जिनमें से 11 लोगों को मौत की सजा सुनायी गयी.
28 फरवरी 2002: वीएचपी ने गोधरा कांड के विरोध में बंद का आह्वान किया. इसी दौरान उग्र भीड़ ने नरोदा पाटिया इलाके में हमला बोल दिया.
2009 में शुरू हुआ मुकदमा : अगस्‍त 2009 में नरोदा पाटिया कांड का मुकदमा शुरू हुआ जिसमें 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किये गये. सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गयी. अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किये जिनमें पत्रकार, कई पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे.
2012 में स्‍पेशल कोर्ट ने सुनाई सजा : अगस्त 2012 में एसआईटी मामलों के लिए विशेष अदालत ने भाजपा विधायक और राज्‍य की नरेंद्र मोदी सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षड्यंत्र रचने का दोषी पाया. यही नहीं इनके अलावा 32 अन्‍य को भी कोर्ट ने दोषी ठहराया.
आरोपियों ने हाई कोर्ट में दी चुनौती
विशेष अदालत के फैसले को दोषियों ने हाई कोर्ट में चुनौती देने का काम किया. यहां जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए.एस. सुपेहिया की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की. सुनवाई पूरी होने के बाद अगस्‍त 2017 में कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्ष‍ित रख लिया.

पहले किसको कितनी सजा, आप भी जानें
1. माया कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा दी गयी थी.
2. बाबू बजरंगी को जीवनपर्यन्त आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी.
3. 7 अन्य को 21 साल के आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी.
4. बाकी 14 लोगों को साधारण आजीवन कारावास की सजा कोर्ट ने सुनायी गयी थी. इस मामले में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था.

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