नयी दिल्ली : कांग्रेस के शीर्ष नेता सलमान खुर्शीद ने आज पोस्को एक्ट में संशोधन के सरकार के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और हालिया दिनों में जो घटनाएं हुईं हैं वे शर्मनाक हैं. जरूरत इस बात की है कि हम इन घटनाओं के मूल कारणों को तलाशें, क्योंकि ऐसे मामलों में न्यायपालिका की अपनी एक सीमा होती है, जिसके आगे वह हमारी मदद नहीं कर पायेगी.
This is a sensitive issue & incidents that have taken place recently are shameful. Govt should contemplate its decision. We need to address the root cause of such crimes as there's a limit to which judiciary can help: Salman Khurshid, Congress on the ordinance to amend POCSO Act pic.twitter.com/QJwnqqqlLx
— ANI (@ANI) April 21, 2018
वहीं सरकार द्वारा 12 साल तक की छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों को फांसी की सजा देने के फैसले का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि मैं एक और सुझाव देना चाहूंगी कि इन मामलों की सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट में हो, ताकि जल्दी से जल्दी न्याय मिल सके.
I welcome this move of the government. But the main challenge is the implementation of the law. I would still suggest that there be fast track courts so that the justice can be delivered at the earliest: Rekha Sharma, chairperson, NCW on the ordinance to amend POCSO Act pic.twitter.com/vGah9t2IH3
— ANI (@ANI) April 21, 2018
कठुआ गैंगरेप पीड़िता के पिता ने 12 साल तक की बच्चियों के साथ गैंगरेप करने वालों को फांसी दिये जाने के सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम साधारण लोग हैं. सरकार के फैसले को बहुत अच्छी तरह नहीं समझ सकते हैं, लेकिन इतना जानते हैं कि वे जो कर रहे हैं वो अच्छा ही होगा. हमें न्याय की पूरी उम्मीद है. एक बच्ची, सिर्फ बच्ची है वो हिंदू-मुसलमान नहीं है.
We are simple people, we do not know the nitigrities of the decisions that the govt takes but whatever they're doing is good, we are hopeful for justice. A child is a child there is no Hindu or Muslim in that: Father of #Kathua rape victim on the ordinance to amend the POCSO Act pic.twitter.com/9Eb5jmWoKf
— ANI (@ANI) April 21, 2018
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा मौत की सजा देने संबंधी फैसले को अपनी मंजूरी दे दी है. इस संबंध में सरकार एक अध्यादेश लायेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018 को मंजूरी दी गयी. सरकार ने देश के कुछ हिस्सों में बलात्कार की घटनाओं पर गंभीर संज्ञान लिया है और ऐसी घटनाओं पर गहरा रोष व्यक्त किया है .
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ठोस उपाय तैयार करने पर जोर दिया गया . आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), साक्ष्य कानून, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पोक्सो) में संशोधन का प्रावधान है. इसमें ऐसे अपराधों के दोषियों के लिए मौत की सजा का नया प्रावधान लाने की बात कही गयी है. जम्मू कश्मीर के कठुआ और गुजरात के सूरत जिले में हाल ही में लड़कियों से बलात्कार और हत्या की घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह कदम उठाया गया है.
अब इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा. इसमें 16 वर्ष से कम आयु की किशोरियों और 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों के खिलाफ सख्त दंड का प्रावधान किया गया है . इसके तहत 12 साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा मौत की सजा देने की बात कही गयी है. इसके अलावा बलात्कार के मामलों की तेज गति से जांच और सुनवाई के लिए भी अनेक उपाय किये गये हैं . महिला के साथ बलात्कार के संदर्भ में सजा को 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष के कारावास किया गया है जिसे बढ़ाकर उम्र कैद किया जा सकता है.
इसके साथ ही 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार के दोषियों को न्यूनतम सजा को 10 वर्ष कारावास से बढ़ाकर 20 वर्ष कारावास किया गया है जिसे बढ़ा कर उम्र कैद किया जा सकता है. 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से सामूहिक बलात्कार के दोषियों की सजा शेष जीवन तक की कैद होगी . बारह साल से कम उम्र के बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को अदालतों द्वारा कम से कम 20 साल कारावास की सजा या मृत्यु दंड होगी. बारह साल से कम उम्र की लड़कियों से सामूहिक बलात्कार के दोषियों को शेष जीवन तक कैद या मौत की सजा का प्रावधान किया गया है . इसमें बलात्कार से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई का काम दो महीने में पूरा करने का प्रावधान किया गया है.
ऐसे मामलों में अपील की सुनवाई छह महीने में पूरा करने की बात कही गयी है. इसमें यह कहा गया है कि 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के आरोपी लोगों के लिए अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं होगा . इसमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार विमर्श करके त्वरित निपटान अदालतों के गठन की बात कही गयी है . सभी पुलिस थाने और अस्पतालों में विशेष फारेंसिक किट उपलब्ध कराने की बात कही गयी है . इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यौन अपराध से जुड़े लोगों का राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करेगा और इसे राज्यों के साथ साझा किया जायेगा .