अमेरिका में आलोचना : यौन अपराधियों का डाटाबेस रखनेवाले आठ देशों के समूह का हिस्सा होगा भारत
नयी दिल्ली : भारत में यौन अपराधों में इजाफे के मद्देनजर अमेरिका में आलोचना के बाद सरकार ने यौन अपराधियों से जुड़े विस्तृत लेखा-जोखा संग्रहित (डाटाबेस) करने का फैसला किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी. इसके साथ […]
नयी दिल्ली : भारत में यौन अपराधों में इजाफे के मद्देनजर अमेरिका में आलोचना के बाद सरकार ने यौन अपराधियों से जुड़े विस्तृत लेखा-जोखा संग्रहित (डाटाबेस) करने का फैसला किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी. इसके साथ ही भारत यौन अपराधियों का डाटाबेस तैयार करनेवाले आठ देशों के समूह में शामिल हो जायेगा. मंत्रिमंडल ने बच्चियों के साथ बलात्कार करनेवाले अपराधियों को मृत्युदंड देने के प्रावधान को लागू करने के लिए आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018 को मंजूरी देते हुये राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो को यौन अपराधियों के ‘प्रोफाइल’ के साथ इनका डाटाबेस तैयार करने को कहा है. डाटाबेस में संरक्षित किये गये आंकड़ों, तथ्यों और जानकारियों को नियमित तौर पर राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के साथ साझा किया जायेगा. जिससे स्थानीय पुलिस यौन अपराध के मामलों की जांच की निरंतर निगरानी कर सके.
हालांकि, कुछ मानवाधिकार संगठनों ने यौन अपराधियों से जुड़ी जानकारियों का डाटाबेस तैयार करने का यह कहते हुए विरोध किया है कि ऐसा करने से इन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए किये जानेवाला पुनर्वास कार्य नकारात्मक रूप से प्रभावित होगा. मानवाधिकारों पर आधारित पुस्तक ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ की लेखक जयश्री बजोरिया ने अमेरिका के आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से बताया कि वहां के अधिकांश बाल यौन अपराधों में परिजनों, विश्वासपात्र परिचितों या ऐसे लोगों की संलिप्तता पायी गयी जो पहले कभी यौन अपराधों में दोषी नहीं ठहराये गये. भारत में भी कमोबेश इसी स्थिति को देखते हुये सरकार को पॉक्सो कानून सहित अन्य मौजूदा कानूनी प्रावधानों का बेहतर तरीके से पालन सुनिश्चित करना चाहिए.
बजोरिया ने कहा कि अमेरिका में अपराधियों का डाटाबेस लोगों के बीच सार्वजनिक होता है. जबकि, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, त्रिनिनाद और टोबैगो तथा ग्रेट ब्रिटेन में यौन अपराधियों का डाटाबेस सिर्फ विधि प्रवर्तन अधिकारियों की पहुंच तक सीमित रखा जाता है. भारत में अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह डाटाबेस जनता के बीच सार्वजनिक रहेगा या नहीं. उन्होंने इसे सार्वजनिक करने के बारे में चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा होने पर पीड़ित पक्षकार यौन अपराधों को पुलिस में दर्ज कराने से हिचकेंगे क्योंकि अपराध करनेवाले अधिकांश परिचित होते हैं.