राष्ट्रपति कोविंद की मंजूरी के बाद देश भर में लागू हुआ बलात्कार निरोधी अध्यादेश, जानें कितना कड़ा है नया कानून

अध्यादेश की प्रमुख बातें गजट अधिसूचना में कहा गया है कि संसद का सत्र अभी नहीं चल रहा है और राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि जो परिस्थितियां हैं उनमें यह आवश्यक था कि वह तत्काल कदम उठाएं. मालूम हो कि किसी विषय पर त्वरित कानून बनाने के लिए संसद का सत्र चलना जरूरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2018 10:45 AM


अध्यादेश की प्रमुख बातें


गजट अधिसूचना में कहा गया है कि संसद का सत्र अभी नहीं चल रहा है और राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि जो परिस्थितियां हैं उनमें यह आवश्यक था कि वह तत्काल कदम उठाएं. मालूम हो कि किसी विषय पर त्वरित कानून बनाने के लिए संसद का सत्र चलना जरूरी है या फिर विशेष सत्र बुलाकर ऐसा किया जा सकता है.

संविधान के अनुच्छेद 123 के उपखंड (1) में दीगयी शक्तियों का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी है.

अध्यादेश के अनुसार, 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप करने के आरोपियों को फांसी की सजा दी जा सकेगी.

आपराधिक कानून ( संशोधन ) अध्यादेश 2018 के अनुसार, ऐसे मामलों से निपटने के लिये नयी त्वरित अदालतें गठित की जायेंगी और सभी पुलिस थानों एवं अस्पतालों को बलात्कार मामलों की जांच के लिए विशेष फॉरेंसिक किट उपलब्ध करायी जायेगी.

अध्यादेश का हवाला देते हुए अधिकारियों ने बताया कि इसमें विशेषकर 16 एवं 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामलों में दोषियों के लिए सख्त सजा की अनुमति है.

अध्यादेश के मुताबिक महिलाओं से बलात्कार मामले में न्यूनतम सजा सात साल से बढ़ा कर 10 साल सश्रम कारावास कीगयीहै. इसे अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए उम्रकैद तक भी बढ़ाया जा सकता है. 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से सामूहिक बलात्कार के दोषी के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान बरकरार रहेगा.

इस अध्यादेश के मुताबिक 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार के मामले में न्यूनतम सजा 10 साल से बढ़ाकर 20 साल की गयीहै और अपराध की प्रवृत्ति के आधार पर इसे बढ़ाकर जीवनपर्यंत कारावास की सजा भी किया जा सकता है. यानी दोषी को मृत्यु होने तक जेल की सजा काटनी होगी.

अधिकारी ने बताया कि भारतीय दंड संहिता ( आइपीसी), साक्ष्य अधिनियम, आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और यौन अपराधों से बाल सुरक्षा (पोक्सो) अधिनियम को अब संशोधित माना जायेगा. अध्यादेश में मामले की त्वरित जांच एवं सुनवाई की भी व्यवस्था है.

बलात्कार के सभी मामलों में सुनवाई पूरी करने की समय सीमा दो माह होगी. साथ ही , 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को अंतरिम जमानत नहीं मिल सकेगी. इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ बलात्कार के मामलों में जमानत आवेदनों पर फैसला करने से पहले अदालत को सरकारी वकील और पीड़िता के प्रतिनिधि को 15 दिनों का नोटिस देना होगा.

एक अधिकारी के मुताबिक, बलात्कार के मामलों में सख्त सजा सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका की शक्तियां बढ़ाने के साथ ही कैबिनेट ने कई दूसरे कदमों को भी मंजूरी दी है. इनमें राज्यों और संबंधित उच्च न्यायालय के साथ विचार-विमर्श करके त्वरित अदालतों की स्थापना शामिल हैं.

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018 को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति द्वारा इस अध्यादेश की मंजूरी देने के बाद यह देश भर में लागू हो गया.इसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप करने वालों को फांसी की सजा व 16 से कम उम्र वाली लड़कियों के साथ गैंगरेप करने वालों को उम्रकैद की सजा दी जाएगी. इतना ही नहीं बलात्कार के सभी मामलों का कोर्ट में निबटारा दो महीने के अंदर त्वरित ढंग से किया जाएगा. सभी पुलिस थानों को मामले की पड़ताल के लिए फारेंसिक किट भी उपलब्ध करवाया जाएगा. 16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामले में अंतरिम जमानत नहीं मिल सकेगी.

इसअध्यादेश के लागूहोने के बाद बलात्कार करनेवालों को कड़ी सजादेनासंभव हो सकेगा. इस अध्यादेश को कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गयी थी, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास उनकी स्वीकृति के लिए भेजा गया था.यहअध्यादेशकठुआवउन्नाव रेप कांड व ऐसे अन्य मामलों के मीडिया में तूल पकड़ने के बाद सरकार द्वारा लाया गया. इस संबंध में पहले ही महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने मीडिया को बयान दिया था और कहा था कि सरकार इससे संबंधित कानून को कड़ा करने के सभी संभव उपायों पर विचार कर रही है.

पाक्सो एक्ट में संशोधन के संबंध में दिल्ली के 2012 के निर्भया कांड की पीड़िता की मां ने भी मीडिया को बयान दिया है. निर्भया की मां अाशा देवी ने कहा कि 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के मामले में किया प्रावधान अच्छा कदम है, लेकिन अधिक उम्र के मामले में क्या होगा? बलात्कार से ज्यादा जघन्य अपराध कुछ नहीं हो सकता है, इससे बड़ा कोई दुख नहीं हो सकता है. हर बलात्कारी को फांसी पर चढ़ा देना चाहिए.

कानून में क्या बदलाव किये गये?

इस अध्यादेश से भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम में संशोधन किया गया है. इस अध्यादेश में सोलह वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में न्यूनतम सजाको 10 वर्ष से बढ़ाकर बीस वर्ष कर दिया गया है. इसे आजीवन कारावास में भी बढ़ाया जा सकता है.

अब दुष्कर्म के सभी मामलों की जांच और सुनवाई दो महीने के भीतर ही पूरी करनी होगी. साथ ही सोलह वर्ष से कम आयु की बालिका के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के अभियुक्त को अग्रिम जमानत भी नहीं देने का भी प्रावधान किया गया है.

न्यूज एजेंसी एएनआइ व पीटीआइ के अनुसार, इस अध्यादेश के अनुसार, 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म करने की स्थिति में मौत की सजा दी जाएगी. इसके लिए पाक्सोएक्ट में संशोधन किया गया है.

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने न्यूज एजेंसी एएनआइ से कहा है कि कैबिनेट ने इस संबंध में ऐतिहासिक निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध में दोषियों को कड़ी सजा देना आवश्यक है.

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