महाभियोग नोटिस खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है कांग्रेस, कहा, न्यायिक कामकाज से दूर रहें CJI

नयी दिल्ली : कांग्रेस के नेताओं ने कहा है कि अगर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ठुकराते हैं तो पार्टी उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकती है. पार्टी के एक नेता ने कहा , सभापति के फैसले को चुनौती दी जा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2018 8:38 PM

नयी दिल्ली : कांग्रेस के नेताओं ने कहा है कि अगर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ठुकराते हैं तो पार्टी उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकती है.

पार्टी के एक नेता ने कहा , सभापति के फैसले को चुनौती दी जा सकती है. इसकी न्यायिक समीक्षा हो सकती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस उम्मीद के साथ प्रधान न्यायाधीश पर ‘ नैतिक दबाव ‘ बना रही है कि महाभियोग प्रस्ताव पेश किए जाने पर वह अपने न्यायिक उत्तरदायित्व से अलग हो जाएंगे.

कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पहले भी महाभियोग का सामना करने वाले न्यायाधीश न्यायिक कार्य से अलग हुए थे और प्रधान न्यायाधीश को भी यही करना चाहिए। उन्होंने कहा , यह सिर्फ परिपाटी है , इसके लिए कोई कानूनी या संवैधानिक बाध्यता नहीं है. कांग्रेस को उम्मीद है कि महाभियोग प्रस्ताव के संदर्भ में जल्द फैसला होगा.

उधर , संसद में एक अधिकारी ने इस बात पर जोर दिया कि नोटिस को स्वीकार किए जाने से पहले इसकी बातों को सार्वजनिक करने से संसदीय नियमों का उल्लंघन हुआ है.

* प्रधान न्यायाधीश को न्यायिक कामकाज से खुद को अलग करना चाहिए : कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा कि कथित ‘ कदाचार ‘ के आरोपों से मुक्त होने तक प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज से खुद को अलग करना चाहिए.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि भाजपा प्रधान न्यायाधीश का बचाव कर न्यायपालिका के सर्वोच्च पद का अपमान कर रही है और इस मामले का राजनीतिकरण कर रही है.

सुरजेवाला ने कहा , प्रधान न्यायाधीश को सामने आना चाहिए और भाजपा से कहना चाहिए कि वह प्रधान न्यायाधीश के पद का राजनीतिकरण नहीं करे. उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश का पद सवालों के घेरे में आया है तो उनको महाभियोग से संबंधित प्रक्रिया के चलने तक न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज से दूरी बनानी चाहिए.

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कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा , वह ( न्यायमूर्ति मिश्रा ) देश के प्रधान न्यायाधीश हैं. उनको अपने को खुद जांच के सुपुर्द करना चाहिए. यह उन पर आरोप नहीं है , बल्कि देश पर आरोप हैं. हम किसी का अपमान करने के लिए नहीं आये हैं. लेकिन इन गंभीर आरोपों की सच्चाई सामने आनी चाहिए. ऐसा होना देश और न्यायपालिका के हित में है.

उन्होंने कहा , जब तक नोटिस पर कार्रवाई हो रही है तब तक प्रधान न्यायाधीश को खुद सोचना चाहिए कि उन्हें न्यायपालिका में किस तरह से भागीदारी करनी है. प्रधान न्यायाधीश का पद बहुत बड़ा होता है. यह विश्वास से जुड़ा होता है. उन पर कदाचार के आरोप लगे हैं. उनको पहले विश्वास अर्जित करना चाहिए. उन्हें यह सोचना चाहिए कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उन्हें न्यायाधीश के रूप में काम करना है या नहीं.

तन्खा ने कहा , हमें न्यायपालिका और न्यायाधीशों की ईमानदारी पर गर्व है. लेकिन पिछले तीन महीने से हम चिंतित थे. चार न्यायाधीशों ने संवाददाता सम्मेलन करके कहा कि लोकतंत्र खतरे में हैं. इसके बाद कुछ न्यायाधीशों के पत्र भी सामने आये. सांसदों ने बहुत सोच – विचार करके यह कदम उठाया. हमने भारी मन से ऐसा किया है.

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नोटिस का विवरण मीडिया को दिए जाने को लेकर भाजपा के सवालों पर वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा कि 15 दिसंबर , 2009 को न्यायमूर्ति दिनाकरन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद राज्यसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली और माकपा नेता सीताराम येचुरी ने मीडिया से बात की थी. उन्होंने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस के बारे में मीडिया से बात करने पर राज्यसभा के नियमों में रोक नहीं है.

* क्‍या है मामला

गौरतलब है कि गत शुक्रवार को कांग्रेस और छह अन्य विपक्षी दलों ने देश के प्रधान न्यायाधीश पर ‘ कदाचार ‘ और ‘ पद के दुरुपयोग ‘ का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस दिया था.

महाभियोग प्रस्ताव पर कुल 71 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें सात सदस्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं. महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस , राकांपा , माकपा , भाकपा , सपा , बसपा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ( आईयूएमएल ) के सदस्य शामिल हैं.

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