जोधपुर : नाबालिग लड़की से बलात्कार मामले में अासाराम के साथ शिल्पी नाम की एक महिला दोषी करार दी गयी है. उसे भी इस मामले में
20 साल की सजा सुनायी गयी. शिल्पी खुद को संत बताने वाले आसाराम की सबसे बड़ी राजदार मानी जाती है, जिसने एक बीमार लड़की को स्वास्थ्य लाभ के झूठे आश्वासन के बहाने आसाराम के कमरे तक पहुंचाया. यह घटना 15 अगस्त 2013 की है.
दरअसल, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में आसाराम के जिस आश्रम में नाबालिग लड़की रहती थी, शिल्पी वहां की वार्डन थी. शिल्पी का असली नाम संचिता गुप्ता है और वह मूलरूप से छत्तीसगढ़ के रायपुर की रहने वाली है. उसका पूरा परिवार आसाराम की भक्ति करता रहा है, जाहिर है वह भी इसी राह पर चल पड़ी और एक ऐसे दलदल में फंस गयी जहां महिला होने के बावजूदवह महिलाओं के शोषण व यौन उत्पीड़न का माध्यम बन गयी.
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#AsaramVerdict आसाराम को किस मामले में दोषी करार दिया गया है?
संचिता के माता-पिता अक्सर आसाराम के अाश्रम में जाते थे और तब शिल्पी भी साथ होती थी. यहीं से वह आसाराम के प्रभाव में आती गयी. यह सिलसिला बचपन से शुरू हो गया था. शिल्पी पढ़ाई में तेज थी और उसे रायपुर से साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की है. 2005 में आसाराम से उसने उसके अहमदाबाद आश्रम में दीक्षा ली. उसने एक बार कहा था कि 2011 में उसेअहमदाबादआश्रम में ऐसा लगा कि उस पर किसी शक्ति का असर हो गया. 2012 में उसने अपना नाम बदल कर संचिता गुप्ता से शिल्पी कर लिया और आश्रम में रहने लगी और यह भी एलान कर दिया कि वह शादी नहीं करेगी.
शिल्पी पर आरोप है कि हॉस्टल का वार्डन होने के नाते वह लड़कियों को भूत-प्रेत से उपचार के लिए ब्रेनवॉश कर आसाराम के पासउसकेकमरे में भेजती थी. जब बलात्कार मामले में आसाराम फंस गया तो शिल्पी लापता भी हो गयी थी, लेकिन अग्रिम जमानत नहीं मिलने के बाद उसने आत्मसमर्पण कर दिया. उसकी ओर सरकारी गवाह बनने की भी कोशिश की गयी. अब शिल्पी इस मामले में दोषी करार दे दी गयी है, जाहिर है उसे उसके कर्मों की सजा भी मिलेगी.
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