जोधपुर : इंदौर में लंबी लुका-छिपी के बाद आसाराम को गिरफ्तार करने और इस मामले की जांच में शामिल रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अजय पाल लांबा को इस दौरान कई धमकी भरे पत्र और फोन कॉल्स के जरिये डराया जाता था. लांबा ने बताया कि मुझे इस मामले की जांच का जिम्मा 20 अगस्त, 2013 को मिला था. उस समय में मैं जोधपुर के डीसीपी पद पर था. कई धमकियां मिलने के बाद भी मैंने हार नहीं मानी और अपना काम करता रहा.
लांबा बताते हैं कि धमकी भरे खतों में मुझे और मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी जाती थी. मैं अपने मोबाइल फोन पर अज्ञात लोगों की कॉल्स रिसीव नहीं करता था. इन धमकियों का सिलसिला तब खत्म हुआ, जब मैं उदयपुर में शिफ्ट हो गया.