नयी दिल्ली : 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा वाला अध्यादेश लागू करने के बाद केंद्र सरकार यौन शोषण के शिकार लड़कों के साथ भी न्याय करना चाहती है. वह इनसे कुकर्म करने के दोषियों के लिए भी सख्त सजा का प्रावधान करने जा रही है. इसके तहत सरकार की आेर से लिंग भेद खत्म करने के लिए पॉक्सो एक्ट में संशोधन करने की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर यह जानकारी दी है.
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मंत्रालय के अनुसार, सरकार हमेशा जेंडर न्यूट्रल (लिंग भेद रहित) कानून विकसित करने के लिए प्रयासरत रही है. इसके लिए पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है, ताकि यौन शोषण के शिकार लड़कों को न्याय मिल सके.
हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने चेंज.आर्ग पर फिल्म निर्माता एवं सामाजिक कार्यकर्ता इंसिया दरीवाला की एक याचिका का समर्थन किया था. इस याचिका में दरीवाला ने कहा था कि भारत में छोटे लड़कों के साथ होने वाला यौन उत्पीड़न एक सच्चाई है, लेकिन इसे नजरंदाज किया जाता है.
इसका जवाब देते हुए मेनका ने कहा कि यौन शोषण के शिकार बच्चों पर वह जल्द अध्ययन करायेंगी. केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने आगे कहा कि यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चों को सबसे ज्यादा नजरंदाज किया जाता है. यौन शोषण का सामना करने वाले छोटे लड़के अपनी पूरी जिंदगी चुपचाप बिता देते हैं. इसको लेकर वे मुंह इसलिए नहीं खोलते, क्योंकि यह शर्म एवं खराब छवि से जुड़ा मुद्दा है. यह एक गंभीर समस्या है. इससे सख्ती से निपटने की जरूरत है.
मेनका ने बताया कि इंसिया दरीवाला की याचिका के सामने आने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इस पर विचार करने का निर्देश दिया था. इस सिलसिले में आयोग ने पिछले साल नवंबर में एक सम्मेलन का भी आयोजन किया था. केंद्रीय मंत्री के अनुसार, उस सम्मेलन की सिफारिशों के आधार पर ही पॉक्सो एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है.