लालकिला विवाद : कांग्रेस ने कहा – मोदी कारपोरेट दोस्‍तों को सौंप रहे धरोहर, मंत्रालय ने कहा – MoU सिर्फ रखरखाव के लिए

नयी दिल्ली : विपक्षी दलों ने ऐतिहासिक लालकिला के रखरखाव की जिम्मेदारी एक निजी समूह को दिये जाने पर सवाल उठाया. कुछ ही दिन पहले एक उद्योग घराने ने पर्यटन मंत्रालय के साथ ‘धरोहर को गोद लेने’ की उसकी योजना के तहत एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. सहमति ज्ञापन के तहत ‘द डालमिया भारत’ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2018 8:34 AM

नयी दिल्ली : विपक्षी दलों ने ऐतिहासिक लालकिला के रखरखाव की जिम्मेदारी एक निजी समूह को दिये जाने पर सवाल उठाया. कुछ ही दिन पहले एक उद्योग घराने ने पर्यटन मंत्रालय के साथ ‘धरोहर को गोद लेने’ की उसकी योजना के तहत एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. सहमति ज्ञापन के तहत ‘द डालमिया भारत’ समूह धरोहर का रखरखाव करेगा और उसके चारों ओर के आधारभूत ढांचों का निर्माण करेगा.

उसने इसके लिए पांच साल में 25 करोड़ रूपये खर्च करने का वादा किया है. इस फैसले का कांग्रेस, माकपा और तृणमूल कांग्रस ने विरोध किया है और उन्होंने भारत की आजादी के प्रतीक को एक तरह से कोरपोरेट के हाथों में सौंपने को लेकर सरकार पर हमला किया. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की आजादी के प्रतीक लाल किले को कोरेपोरेट के हाथों बंधक रखने की तैयारी कर रहे हैं. क्या मोदीजी या भाजपा लालकिले का महत्व समझती है.’

इस मामले पर सफाई देते हुए पर्यटन मंत्रालय ने कहा कि डालमिया भारत लिमिटेड के साथ हुआ समझौता 17 वीं शताब्दी के इस स्मारक के अंदर और इसके चारों ओर पर्यटक क्षेत्रों के विकास एवं रखरखाव भर के लिए है. डालमिया भारत समूह एमओयू के तहत स्मारक की देखरेख करेगा और इसके इर्द गिर्द आधारभूत ढांचा तैयार करेगा. पांच वर्ष के दौरान इसमें 25 करोड़ रूपए का खर्च आयेगा.

मंत्रालय ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि सहमति पत्र (एमओयू) लाल किला और इसके आस पास के पर्यटक क्षेत्र के रखरखाव और विकास भर के लिए है. बयान में कहा गया है कि एमओयू के जरिए ‘गैर महत्वपूर्ण क्षेत्र’ में सीमित पहुंच दी गयी है और इसमें स्मारक को सौंपा जाना शामिल नहीं है.

सुरजेवाला ने यह भी कहा, ‘क्या यह सच नहीं है कि यह निजी कंपनी लाल किला देखने के लिए टिकट जारी करेगी. क्या यह सच नहीं है कि यदि कोई वहां वाणिज्यिक गतिविधि या कोई कार्यक्रम करना चाहता है तो निजी पार्टी को भुगतान करना होगा.’ सुरजेवाला ने कहा, ‘क्या आप लाल किला जैसे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक को रखरखाव के लिए अपने कोरपोरेट दोस्तों को दे सकते हैं?’

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘क्या सरकार हमारे ऐतिहासिक लालकिले की देखभाल भी नहीं कर सकती? लालकिला हमारे राष्ट्र का प्रतीक है. यह ऐसी जगह है जहां स्वतंत्रता दिवस पर भारत का झंडा फहराया जाता है. इसे क्यों लीज पर दिया जाना चाहिए? हमारे इतिहास में निराशा और काला दिन है.’ माकपा ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने एक प्रकार से लालकिले को डालमिया ग्रुप को सौंप दिया है.

माकपा ने कहा, ‘डालमिया समूह ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि ‘वे शुरुआत में पांच साल के लिए इसके मालिक होंगे’ और समझौता उन्हें डालमिया ब्रांड का प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता देता है.’ पार्टी ने कहा, ‘इसके पास स्थल पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के दौरान तथा संकेतक बोर्डों पर सभी तरह की प्रचार सामग्री में अपने ब्रांड के नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार है. वाकई, उसे प्रमुख से प्रदर्शित संकेतक बोर्ड में यह घोषणा करने की अनुमति होगी कि लालकिला को डालमिया भारत लिमिटेड ने गोद ले लिया है.’

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