जस्टिस जोसेफ की पदोन्नति का मामला लटका, कोलेजियम ने फैसला टाला, फाइल लौटायी

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षतावाली पांच सदस्यीय न्यायाधीशों की समिति (कोलेजियम) ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को शीर्ष अदालत में पदोन्नति देने की सिफारिश पर फिर से विचार के मुद्दे पर बुधवार को अपना निर्णय टाल दिया. सरकार ने न्यायमूर्ति जोसेफ की फाइल पुनर्विचार के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 2, 2018 6:19 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षतावाली पांच सदस्यीय न्यायाधीशों की समिति (कोलेजियम) ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को शीर्ष अदालत में पदोन्नति देने की सिफारिश पर फिर से विचार के मुद्दे पर बुधवार को अपना निर्णय टाल दिया.

सरकार ने न्यायमूर्ति जोसेफ की फाइल पुनर्विचार के लिए लौटा दी थी. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और कोलेजियम के अन्य सदस्यों न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने बुधवार की शाम हुई बैठक में हिस्सा लिया. कोलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया कि इसकी बैठक में जिस एजेंडे पर विचार हुआ उसमें भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय से 26 और 30 अप्रैल, 2018 के पत्रों के आलोक में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ के मामले पर पुन: विचार करना और निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की अवधारणा के मद्देनजर शीर्ष अदालत में पदोन्नति के लिए कलकत्ता, राजस्थान तथा तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के नामों पर विचार करना शामिल था. इस संबंध में निर्णय बुधवार को स्थगित कर दिया गया.

न्यायमूर्ति चेलामेश्वर, हालांकि बुधवार को न्यायालय नहीं आये थे, लेकिन उन्होंने इस बैठक में हिस्सा लिया. एक अधिकारी ने बताया कि काेलेजियम की बैठक में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के पत्रों पर विस्तार से चर्चा हुई. उच्चतम न्यायालय की कोलेजियम ने दस जनवरी को न्यायमूर्ति जोसेफ को पदोन्नति देकर शीर्ष अदालत में न्यायाधीश बनाने और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा को सीधे उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी. सरकार ने इंदु मल्होत्रा के नाम को मंजूरी दे दी और न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम पर फिर से विचार के लिए उनकी फाइल लौटा दी थी. प्रधान न्यायाधीश ने 27 अप्रैल को इंदु मल्होत्रा को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद की शपथ दिलायी थी. सरकार ने उन्हें पदोन्नति देकर शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने पर विचार नहीं किया और कहा कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मानदंडों के अनुरूप नहीं है.

केंद्र ने प्रधान न्यायाधीश को दो पत्र लिखे थे और इसमें कहा था कि उच्चतर न्यायपालिका में पहले से ही केरल को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला हुआ है. न्यायमूर्ति जोसेफ भी केरल से ही हैं. यही नहीं, केंद्र ने उनकी वरिष्ठता पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि अखिल भारतीय स्तर पर उच्च न्यायालय की वरिष्ठता की समेकित सूची में उनका 42वां स्थान है. न्यायमूर्ति जोसेफ जून के महीने में साठ साल के हो जायेंगे. वह जुलाई 2014 से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं. उन्हें 14 अक्तूबर, 2004 को केरल उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश बनाया गया था. न्यायमूर्ति चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन सहित कोलेजियम के सदस्यों ने न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम को मंजूरी देने में हो रहे विलंब पर चिंता व्यक्त की थी.

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