कर्नाटक का चुनावी महासमर : क्या गेम चेंजर साबित होंगे सिद्दारमैया
बेंगलुरु से अजय कुमार कर्नाटक में चुनाव लड़ कौन रहा है? एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी है, तो दूसरी ओर हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी. स्थानीय क्षत्रप कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया हैं, तो भाजपा की ओर से येदियुरप्पा. पर ऐसा माना जा रहा है कि चुनावी समर में […]
बेंगलुरु से अजय कुमार
कर्नाटक में चुनाव लड़ कौन रहा है? एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी है, तो दूसरी ओर हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी. स्थानीय क्षत्रप कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया हैं, तो भाजपा की ओर से येदियुरप्पा. पर ऐसा माना जा रहा है कि चुनावी समर में भाजपा के सामने सिद्दारमैया हैं. वही कांग्रेस की नैया पार लगायेंगे. उन्होंने स्थानीय भावनात्मक मुद्दों को उछाल कर प्रतिद्वंद्वी पार्टियों को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश की है.
भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और पार्टी नेतृत्व के बीच द्वंद्व है और इसकी झलक रोजमर्रे के चुनाव प्रचार में भी दिख जाती है. यह द्वंद्व इतना गहरा है कि येदियुरप्पा ने बीच चुनाव में ही एलान कर दिया कि उनके बेटे बीवाइ बिजयेंद्र चुनाव नहीं लड़ेंगे. पार्टी उनके बेटे को चुनाव में उतारना चाहती थी. पर येदियुरप्पा किसी दूसरे को उम्मीदवार बनाना चाहते थे. पूर्व मुख्यमंत्री के इस कदम से पार्टी थोड़ी असहज भी हुई. कई बड़े नेता बेंगलुरु से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर भागे-भागे मैसूर पहुंचे. पर येदियुरप्पा टस से मस नहीं हुए. तब पार्टी ने उनके बेटे को भाजपा युवा माेर्चा का महासचिव बना दिया.
कर्नाटक में क्यों खुश है कांग्रेस : यहां कांग्रेस मायूस नहीं है, तो इसकी वजह खास है. घाघ कांग्रेसी बताते हैं कि केंद्र की सत्ता में जब इंदिरा गांधी मजबूत हुईं, तो क्षेत्रीय क्षत्रपों को उठाने-गिराने का काम खूबहुआ.नेतृत्व ने राज्यों में नेताओं को थोपना शुरू कर दिया था. अबचूंकि कांग्रेस की केंद्रीय सत्ता डांवाडोल है.
ऐसे में नेतृत्व के पास राज्यों के क्षत्रपों को नियंत्रित या उन्हें डिक्टेट करनेकी ताकत भी नहीं बची है. अलबत्ता क्षत्रपों पर अंकुश लगाने का काम दूसरे खेमे में हो रहा है. कर्नाटक की राजनीति को लंबे समय से देख रहे पत्रकार संकलापोर कहते हैं-
कांग्रेस दूसरों की गलतियों से राहत महसूस कर रही है. सच तो यह है कि कांग्रेस यहां सिद्दारमैया के भरोसे चुनाव लड़ रही है. वह गेम चेंजर साबित हो सकते हैं.
यहां तो पिता-पुत्र ही लड़ रहे हैं
हम बात देवेगौड़ा परिवार की कर रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने कहा है कि अगर उनके बेटे कुमारस्वामी ने भाजपा से हाथ मिलाया,तो हम उनका बहिष्कार कर देंगे. दरअसल, जब यहां खंडित जनादेश की बात हुई, तो कांग्रेस की ओर से कहा जाने लगा कि ऐसी सूरत में जद (एस) भाजपा के साथ हाथ मिला सकता है.
इंटरवल के बाद मैदान में आये मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मार्च के मध्य में दौरा हुआ था. अब एक से आठ मई के बीच वह पांच दिन कर्नाटक के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान उनकी एक दिन में तीन सभाएं होंगी. यानी पांच दिनों में 15. बेंगलुरु सिटी में विधानसभा की 28 सीटें हैं. तीन और आठ मई को उनकी दो सभाएं होनी हैं. राहुल गांधी राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सभाएं व रोड शो कर चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली से लेकर बेंगलुरु तक कांग्रेस नेतृत्व की हजामत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. वह राहुल गांधी पर व्यंग्य करते हैं. मनमोहन सिंह व सोनिया गांधी का जिक्र ‘फेल्ड लीडर’ के तौर पर करने से नहीं चूकते.
जदयू के 34 उम्मीदवार
एनडीए के घटक जदयू ने यहां की 34 सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर्नाटक की पार्टी अध्यक्ष महिमा जे पाटील के समर्थन में चुनाव प्रचार करेंगे. पाटील चेन्नागिरी सीट से चुनाव लड़ रही हैं. बिहार से जदयू नेताओं की टीम यहां पहुंच गयी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा जदयू के बिहार अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, महासचिव व राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह, महासचिव संजय झा व श्याम रजक अलग-अलग सीटों पर प्रचार करेंगे.