नयी दिल्ली: सरकार नेबुधवार को कहा कि उसने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ ) की एक रिपोर्ट में दुनिया के 20 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से 14 शहर भारत के हैं. इन शहरों में दिल्ली और वाराणसी भी शामिल हैं. इस रिपोर्ट के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने के गंभीर प्रयास किए गए हैं और 2017 का पीएम 2.5 का वायु गुणवत्ता का आंकड़ा पिछले साल की तुलना में सुधार दिखाता है. पीएम 2.5 स्तर में सल्फेट, नाइट्रेट, ब्लैक कार्बन जैसे प्रदूषक शामिल हैं, जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक जोखिम भरे हैं.
यूपी, बिहार व बंगाल तुरंत करें पहल
मंत्रालय ने बयान में कहा कि ज्यादातर प्रदूषण वाले शहर दिल्ली और सिंधू-गंगा मैदानी इलाकों के हैं. यह महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल सरकार को हवा को साफ करने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा जाए.
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दिल्ली में हुआ है सुधार
मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली में हर साल सड़कों पर दस लाख वाहन बढ़ जाते हैं. निर्माण गतिविधियां और वाहनों की संख्या बढ़ने के बावजूद दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. बयान में कहा गया है कि अन्य प्रदूषण वाले शहरों में स्थानीय शहरी निकायों तथा राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी से वायु की गुणवत्ता को और सुधारा जा सकता है.
रिपोर्ट में किन शहरों का है उल्लेख?
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सालाना पीएम 2.5 स्तर के साथ दिल्ली दुनिया के प्रदूषित शहरों में छठे स्थान पर है. हालांकि, सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटाने को गंभीर प्रयास किए हैं. अन्य भारतीय शहर जहां पीएम 2.5 प्रदूषकों का सबसे उच्च स्तर दर्ज किया है, उनमें कानपुर, फरीदाबाद, गया, पटना, लखनऊ, आगरा, मुजफ्फरपुर, श्रीनगर, गुड़गांव, जयपुर, पटियाला और जोधपुर शामिल हैं. इसके बाद कुवैत में अली सबाह अल सलेम और चीन एवं मंगोलिया के कुछ शहरों भी इसमें शामिल हैं.
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भारत के 13 शहर शामिल
प्रदूषण के पीएम10 स्तर के आधार पर, 2016 में दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 13 शहर शामिल हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र के सदस्यों देशों से घरेलू और बाहरी वायु प्रदूषण को तेजी से कम करने के लिए कहा है. संगठन ने कहा कि भारत समेत इस क्षेत्र की समय से पूर्व होने वाली मौतों की संख्या में 34 प्रतिशत हिस्सेदारी है. संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू और बाहरी प्रदूषण के कारण हर साल दुनिया भर में 70 लाख लोगों की मौत समय से पहले होने का अनुमान है, इसमें 24 लाख लोग इस क्षेत्र से है. इसमें कहा गया है कि घरेलू वायु प्रदूषण से दुनिया भर में 38 लाख मौतें होती हैं, इसमें इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 15 लाख यानी 40 प्रतिशत है. बाह्य प्रदूषण के कारण होने वाली 42 लाख मौतों में इस क्षेत्र का हिस्सा 13 लाख यानी 30 प्रतिशत दर्ज किया गया है.
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