महिला- कल्याण की अनदेखी करने वाले आठ राज्यों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया जुर्माना

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने विधवाओं और असहाय महिलाओं के कल्याण के लिए केंद्र के प्रस्ताव पर ध्यान नहीं देने के लिए आज राज्य सरकारों को आड़े हाथ लिया और आठ राज्य सरकारों पर अर्थदंड लगाया. केंद्र सरकार ने इनकी समस्याओं के निदान के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का प्रस्ताव किया था. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2018 10:50 AM


नयी दिल्ली :
सुप्रीम कोर्ट ने विधवाओं और असहाय महिलाओं के कल्याण के लिए केंद्र के प्रस्ताव पर ध्यान नहीं देने के लिए आज राज्य सरकारों को आड़े हाथ लिया और आठ राज्य सरकारों पर अर्थदंड लगाया. केंद्र सरकार ने इनकी समस्याओं के निदान के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का प्रस्ताव किया था. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने आंध्र प्रदेश , जम्मू और कश्मीर , कर्नाटक और ओडिशा सरकार पर पचास – पचास हजार रूपए का जुर्माना लगाया और उन्हें चार सप्ताह के भीतर यह रकम किशोर न्याय से संबंधित मसलों में उपयोग के लिए उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति में जमा कराने का निर्देश दिया.

पीठ ने महाराष्ट्र , पश्चिम बंगाल , पंजाब और उत्तराखंड सरकार पर महिला और बाल विकास मंत्रालय को अधूरी सूचनाएं देने के कारण उन पर 25-25 हजार रूपये का जुर्माना लगाया. इसके साथ ही पीठ ने यह भी सुझाव दिया कि केंद्र को तमाम योजनाओं को एक में शामिल करके एक उचित और उच्च कोटि की समेकित योजना तैयार करने पर विचार करना चाहिए जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया. पीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा , ‘ यदि वे ( राज्य ) ऐसा नहीं करना चाहते हैं तो वे ऐसा नहीं करेंगे. यदि वे अपने ही राज्य में महिलाओं की परवाह नहीं करते हैं तो हमें क्या करना चाहिए? लैंगिक न्याय के बारे में मुद्दे उठाये जाते हैं लेकिन वे इसकी परवाह नहीं करते.

वे कुछ नहीं करना चाहते.’ इस मामले में सुनवाई के दौरान पीठ ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से असहाय महिलाओं और विधवाओं से संबंधित अनेक योजनाओं को एक ही में शामिल करने के बारे में सवाल किया. नाडकर्णी ने पीठ द्वारा उठाये गये मुद्दे से सहमति व्यक्त की और कहा कि इसके लिए एक समेकित योजना होनी चाहिए. पीठ ने कहा कि अतिरिक्त सालिसीटर जनरल हमारे दृष्टिकोण से सहमत हैं कि अभी उपलब्ध सभी योजनाओं से सर्वश्रेष्ठ बिंदुओं को लेकर एक विस्तृत योजना तैयार की जाये.

पीठ ने मंत्रालय से कहा कि वह इस संबंध में पहल करे. राष्ट्रीय महिला आयोग के वकील ने पीठ से कहा कि वह इन योजनाओं को एक ही में समाहित करने के काम में मंत्रालय का समर्थन करेगा. पीठ देश भर में मंदिरों में चढ़ाये जाने वाले फूल आश्रम गृहों में रहने वाली विधवाओं और असहाय महिलाओं को अपनी आजीविका के लिए इनसे इत्र , अगरबत्ती और रंग बिरंगे पाउडर बनाने के लिए दिये जाते हैं. शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि कुछ राज्यों ने ही इस मुद्दे पर जवाब दिया है और मंत्रालय तथा आयोग अन्य राज्यों के साथ इस मामले को उठायेगा. न्यायालय इस मामले में अब 31 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा.

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