पत्रकार उपेंद्र राय की गिरफ्तारी मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने संदिग्ध वित्तीय लेन देन में कथित संलिप्तता के संबंध में पत्रकार उपेंद्र राय की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. उपेंद्र राय को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गुरुवार को गिरफ्तार किया था. न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अरुण भूषण की पीठ ने कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 4, 2018 5:33 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने संदिग्ध वित्तीय लेन देन में कथित संलिप्तता के संबंध में पत्रकार उपेंद्र राय की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. उपेंद्र राय को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गुरुवार को गिरफ्तार किया था.

न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अरुण भूषण की पीठ ने कहा कि वह राय की गिरफ्तारी के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी, क्योंकि उसने संरक्षण के लिए दायर उनकी अर्जी अभी देखी नहीं है. जांच ब्यूरो ने दिल्ली स्थित पत्रकार उपेंद्र राय को संदिग्ध वित्तीय लेन-देन में कथित संलिप्तता और हवाई अड्डे में प्रवेश के लिए गलत जानकारी देकर नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो का पास हासिल करने के मामले में गिरफ्तार किया था. राय का दावा है कि इस मामले में उन्हें फंसाया गया है क्योंकि वह प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी राजेश्वर सिंह के बारे में लिखते रहे हैं. राजेश्वर सिंह बहुचर्चित 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की जांच करनेवाले दल के सदस्य थे. राय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि पत्रकार के रूप में जब भी उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी के बारे में लिखा तो उन्हें झूठा फंसाया गया.

अरोड़ा ने कहा, ‘इस बार मुझे कल गिरफ्तार किया गया है और आरोप लगाया गया है कि मैंने छल से हवाई अड्डे का पास हासिल किया है.’ सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस अधिकारी की छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगाये गये और उन पर दबाव डालने के प्रयास किये गये. उन्होंने कहा कि 2जी प्रकरण की जांच की निगरानी शीर्ष अदालत कर रही थी और जब इस अधिकारी ने एयरसेल-मैक्सिस मामले की जांच शुरू की और कुछ संपत्तियां जब्त कीं तो आरोप लगाये गये. रोहतगी ने कहा कि सिंह के खिलाफ निराधार आरोप लगाने का यह तीसरा प्रयास था और एक बार तो न्यायालय ने भी राय के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की थी.

मीनाक्षी अरोड़ा ने पीठ से कहा कि राय को निचली अदालत में पेश किया जायेगा, इसलिए उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह 2जी मामले के तथ्यों और आदेशों का सिलसिलेवार चार्ट तैयार करें. न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया. जांच एजेंसी के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया था कि राय को गिरफ्तार करने से पहले जांच ब्यूरो ने अपने मुख्यालय में दो अन्य लोगों के साथ पूरे दिन पूछताछ की थी. उन्होंने यह भी बताया था कि इस मामले में एयर वन एविएशन प्रा लि के मुख्य सुरक्षा अधिकारी प्रसून राय के खिलाफ भी जांच एजेंसी ने मामला दर्ज किया है.

जांच एजेंसी ने लखनऊ, नोएडा, दिल्ली और मुंबई में आठ ठिकानों पर तलाशी भी ली थी. जांच एजेन्सी ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि 2017 में एक लाख रुपये से अधिक मूल्य के लेन-देन को देखते हुए राय के खाते में 79 करोड़ रुपये आये और उसी दौरान 78.51 करोड़ रुपये डेबिट किये गये. जांच एजेंसी का आरोप है कि राय ने गलत तरीके से अर्जित धन से कई कारें खरीदीं. जांच एजेंसी ने यह भी दाव किया है कि राय को आय कर विभाग में रिश्वत देने और मामलों को निबटाने के लिए मुखौटा कंपनियों से एक साल में 16 करोड़ रुपये मिले थे. यही नहीं, उन्हें एक साल में सहारा इंडिया से 6.5 करोड़ रुपये भी मिले. जांच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया है कि राहुल शर्मा और संजय स्नेही नाम के दो व्यक्तियों ने इस धन को ठिकाने लगाने में कथित रूप से राय की मदद की.

एजेंसी ने यह भी दावा किया कि राय ने प्रसून राय और अन्य के साथ मिलकर एक आपराधिक साजिश की और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो और दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट से छल करके हवाईअड्डे में प्रवेश का अस्थायी और बाद में स्थायी पास हासिल किया. यह भी आरोप है कि सभी हवार्ड अड्डों में जाने का यह पास प्राप्त करके राय ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया. एजेंसी का कहना है कि राय के पास तकनीकी योग्यता नहीं थी और उनके नाम को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने एयर वन के गुणवत्ता नियंत्रक महानिदेशक पद के लिए मंजूरी नहीं दी थी. जांच एजेंसी का दावा है कि एयर वन से चार किश्तों में राय को 1.02 करेाड़ रुपये मिले थे.

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