चीन ने कहा- पीएम मोदी और शी जिंनपिंग के बीच केवल बात नहीं हुई, सहमतियों को लागू भी किया जाएगा
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के ठोस परिणाम भविष्य में देखने का मिल सकते हैं. पिछले दिनों पीएम मोदी और शी जिंनपिंग की मुलाकात को लेकर चीन ने कहा है कि दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक केवल ‘टॉक शॉप’ नहीं थी बल्कि उन्होंने वास्तविक फैसले लिये हैं. भारत में चीन […]
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के ठोस परिणाम भविष्य में देखने का मिल सकते हैं. पिछले दिनों पीएम मोदी और शी जिंनपिंग की मुलाकात को लेकर चीन ने कहा है कि दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक केवल ‘टॉक शॉप’ नहीं थी बल्कि उन्होंने वास्तविक फैसले लिये हैं. भारत में चीन के राजदूत लुओ झाउहुई ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच तय हुई सहमतियों को लागू भी किया जाएगा.
शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान चीनी राजदूत ने मोदी और शी जिंनपिंग के बीच मुलाकातों के सिलसिलों और इसके परिणामों के संबंध में बताया. लुओ ने कहा कि दोनों सरकारों के आगे बढ़ने का तरीका ‘क्रियान्वयन, हस्तांतरण और कार्रवाई’ का था. उनके अनुसार दोनों नेताओं के बीच निजी संबंध के लिए यह आवश्यक था और इसकी मदद से बैठकों के दौरान लिये गये निर्णयों को लागू कराने में मदद मिली.
यहां चर्चा कर दें कि मोदी और शी के बीच 7 सेशनों में 9 घंटों की मुलाकात पिछले दिनों हुई. इन मुलाकातों से 4 घंटे की मुलाकात दोनों नेताओं के बीच अकेले हुई. चीनी राजदूत ने कहा कि हम चाहते थे कि मोदीजी को यह प्रतीत न हो कि वह किसी दूसरे देश आये हैं बल्कि उन्हें ऐसा लगे कि वह घर पर ही है. मुलाकातों के दौरान टेबलों पर लगे कवर गुजरात से मंगाए गए थे और चीनी शेफों को गुजराती पकवान तैयार करने को कहा गया था. लुओ ने दोनों नेताओं के बीच बने निजी रिश्तों पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि 2014 में जब शी चिनफिंग मोदी के जन्मदिन पर भारत पहुंचे थे तो उन्होंने पीएम को शाकाहारी केक उपहार स्वरूप दिया था.
राजदूत ने बताया कि जियामेन मुलाकात के दौरान ही इस अनौपचारिक सम्मेलन को लेकर सहमति बनी थी. दोनों पक्षों ने इसे सफल बनाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा. राजदूत के अनुसार भारत और चीन के बीच कई द्विपक्षीय सम्मेलन हुए लेकिन इस बार मामला तीन रूपों में भिन्न था. एक तो यह मुलाकात पेइचिंग से बाहर हुई, दूसरी मुलाकात का कोई सेट अजेंडा नहीं था और तीसरा दोनों नेताओं ने ग्लोबल और स्ट्रैटिजिक मुद्दों पर गहराई से चर्चा की.
लुओ ने आगे कहा कि भारत ने व्यापार घाटा पर बात की और भारतीय चीनी, फार्मास्युटिकल प्रॉडक्ट्स और नॉन-बासमती चावल के लिए चीनी बाजार खोलने की इच्छा जाहिर की.