वयस्क जोड़ों को शादी के बिना भी साथ रहने का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वयस्क जोड़े को शादी के बिना भी एकसाथ रहने का अधिकार है. शीर्ष अदालत ने केरल की 20 वर्षीय एक महिला से कहा कि वह जिसके साथ चाहे रह सकती है. इस महिला की शादी टूट चुकी है. न्यायालय ने व्यवस्था दी कि ‘ लिव इन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2018 10:52 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वयस्क जोड़े को शादी के बिना भी एकसाथ रहने का अधिकार है. शीर्ष अदालत ने केरल की 20 वर्षीय एक महिला से कहा कि वह जिसके साथ चाहे रह सकती है. इस महिला की शादी टूट चुकी है.

न्यायालय ने व्यवस्था दी कि ‘ लिव इन ‘ संबंधों को अब विधायिका ने भी मान्यता दे दी है और इन संबंधों को महिला घरेलू हिंसा रोकथाम कानून 2005 के प्रावधानों के तहत जगह मिली है. शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ नंदकुमार की याचिका पर सुनवाई करते वक्त कीं जिसमें तुषारा के साथ उसकी शादी को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसकी शादी की कानूनी उम्र नहीं हुई है.

बाल विवाह निषेध कानून कहता है कि कोई लड़की 18 साल से पहले जबकि कोई लड़का 21 साल से पहले शादी नहीं कर सकता. अदालत से गुहार लगाने वाला नंदकुमार इस साल 30 मई को 21 साल का हो जाएगा. उच्च न्यायालय ने तुषारा को उसके पिता के संरक्षण में भेज दिया था और कहा कि वह नंदकुमार की ‘कानूनी रूप से विवाहित ‘ पत्नी नहीं है.

न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि उनकी शादी को सिर्फ इसलिए ‘अमान्य’ नहीं कहा जा सकता कि शादी के समय नंदकुमार की उम्र 21 साल से कम थी. पीठ ने कहा कि दोनों पक्ष बालिग हैं.

अगर वे विवाह करने में सक्षम नहीं भी हैं तो भी उनके पास वैवाहिक संबंध से बाहर एकसाथ रहने का अधिकार है. महिला का संरक्षण उसके पिता को सौंपने संबंधी उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि हम स्पष्ट करते हैं कि पसंद की आजादी तुषारा की होगी कि वह किसके साथ रहना चाहती है.

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