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एकादशी के दिन पीएम मोदी ने की पूजा, जानें जानकी मंदिर के बारे में कुछ खास बातें

नयी दिल्ली : दो दिनों के नेपाल दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को जनकपुर पहुंचे. जनकपुर एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का जोरदार स्वागत हुआ. जनकपुर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद पीएम मोदी सीधा जानकी मंदिर पहुंचे और यहां विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. पूजा के दौरान पंडित ने पीएम मोदी को पाग पहनाया. जनकपुर में […]

नयी दिल्ली : दो दिनों के नेपाल दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को जनकपुर पहुंचे. जनकपुर एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का जोरदार स्वागत हुआ. जनकपुर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद पीएम मोदी सीधा जानकी मंदिर पहुंचे और यहां विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. पूजा के दौरान पंडित ने पीएम मोदी को पाग पहनाया. जनकपुर में पीएम मोदी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे एकादशी के मौके पर यहां आने का मौका मिला है. आइए हम यहां आपको जनकपुर की खासियत के बारे में बतलाते हैं. सीता मिथिला नरेश जनक की पुत्री थीं और अब यह स्‍थान नेपाल में है.

पौराणिक हिंदू मान्यता की मानें तो यहीं सीता माता विवाह पूर्व रहा करती थीं. इसलिए इसे श्री राम का ससुराल भी माना जाता है और माता सीता का मायका भी. यहीं पर जानकी मंदिर जनकपुर में प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर और ऐतिहासिक स्थल है जो देवी सीता को समर्पित है. मंदिर की बनावट हिन्दू-राजपूत वास्तुकला पर आधारित है जो नेपाल में राजपूत स्थापत्यशैली का सबसे महत्त्वपूर्ण उदाहरण है. इसे जनकपुरधाम भी कहते हैं.

यदि जनकपुरधाम मंदिर की बात करें तो यह मंदिर 4860 वर्ग फ़ीट क्षेत्र में फैला है. ऐतिहासिक तथ्‍यों के आधार पर बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1895 में आरंभ होकर 1911 में पूर्ण हुआ था. बताया जाता है कि जानकी मंदिर का निर्माण मध्य भारत के टीकमगढ़ की रानी वृषभानु कुमारी ने करवाया गया था. उस समय इसे बनाने में करीब 9 लाख रुपये की लागत आयी थी. तभी से इसका एक अन्य नाम नौलखा भी पड़ गया. वैसे यहां स्‍थापित सीता जी की प्रतिमा, मंदिर निर्माण से बहुत पहले की और प्राचीन बतायी जाती है. संभवत: यह प्रतिमा 1657 की है.

इस मंदिर की एक और खास बात का उल्लेख करें तो यहां धनुषा नाम से विवाह मंडप स्‍थित है इसी में विवाह पंचमी के दिन पूरी रीति-रिवाज से राम-जानकी का विवाह संपन्न कराया जाता है. जनकपुरी से 14 किलोमीटर ‘उत्तर धनुषा’ नाम का स्थान है. बताया जाता है कि रामचंद्र जी ने इसी जगह पर शिव धनुष तोड़कर सबको चकित कर दिया था. यहां मौजूद एक पत्थर के टुकड़े को उसी का अवशेष कहा जाता है.

जनकपुर में इस मंदिर के आसपास कई अन्य मंदिर और तालाब भी देखें जा सकते हैं. प्रत्येक तालाब के साथ अलग-अलग कहानियां जुड़ी हुई हैं. ‘विहार कुंड’ नाम के तालाब के पास 30-40 मंदिर नजर आते हैं. मंदिर परिसर और आसपास करीब 115 सरोवर और कुंड भी हैं, जिनमें गंगासागर, परशुराम कुंड और धनुष-सागर अत्याधिक पवित्र माने जाते हैं. मंडप के चारों ओर चार छोटे-छोटे ‘कोहबर’ हैं जिनमें सीता-राम, माण्डवी-भरत, उर्मिला-लक्ष्मण एवं श्रुतिकीर्ति-शत्रुघ्‍न की मूर्तियां स्‍थापित की गयीं हैं.

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