केंद्रीय समिति ने झारखंड से मांगी आर्सेलर मित्तल के खनन पट्टे की रिर्पोट

नयी दिल्ली : एक केंद्रीय समिति ने झारखंड से जल्द से जल्द यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि आर्सेलरमित्तल की 50,000 करोड़ रुपये के संयंत्र के लिए दिया गया मौजूदा और प्रस्तावित खनन पट्टा संरक्षित रिजर्व दायरे में आते हैं अथवा नहीं. यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब पर्यावरण एवं वन मंत्रालय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2014 12:36 PM

नयी दिल्ली : एक केंद्रीय समिति ने झारखंड से जल्द से जल्द यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि आर्सेलरमित्तल की 50,000 करोड़ रुपये के संयंत्र के लिए दिया गया मौजूदा और प्रस्तावित खनन पट्टा संरक्षित रिजर्व दायरे में आते हैं अथवा नहीं.

यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब पर्यावरण एवं वन मंत्रालय विश्व के इस सबसे बड़े इस्पात विनिर्माता के पश्चिमी सिंहभूम जिले में सरदाना वन प्रभाग में लौह-अयस्क और मैंगनीज खनन के लिए 202 हेक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र को उसके पक्ष में करने से जुड़े आवेदन की जांच कर रहा है.

मंत्रालय की वन परामर्श समिति ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार को स्पष्ट रुप से कहना चाहिए कि इस पट्टे में आने वाला वन क्षेत्र एकीकृत वन्यजीवन प्रबंधन योजना के मुताबिक संरक्षित क्षेत्र में आता है या नहीं. आर्सेलरमित्तल की 50,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से झारखंड मं 1.2 करोड़ टन सालाना के इस्पात संयंत्र स्थापित करने की योजना है. यह प्रस्ताव पिछले आठ साल से नियामकीय मंजूरी और भूमि अधिग्रहण के इंतजार में अटका पड़ा है. समिति ने कहा कि झारखंड सरकार को इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

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