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कर्नाटक में भाजपा की जीत का मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ पर क्या पड़ेगा असर?
नयी दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिली है. इस जीत के कई मायने हैं. भाजपा इस जीत से उत्साह में है. दूसरे राज्यों पर भी इस जीत का असर पड़ सकता है. नवंबर में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव होने हैं. कर्नाटक की जीत से कार्यकर्ता, तो उत्साहित है ही […]
नयी दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिली है. इस जीत के कई मायने हैं. भाजपा इस जीत से उत्साह में है. दूसरे राज्यों पर भी इस जीत का असर पड़ सकता है. नवंबर में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव होने हैं. कर्नाटक की जीत से कार्यकर्ता, तो उत्साहित है ही दूसरे राज्यों की जनता पर भी इसका असर पड़ सकता है. आइये समझते हैं कि राज्यों की राजनीति किस तरफ जा रही है.
छत्तीसगढ़ का हाल
विकास यात्रा पर रमन
मुख्यमंत्री रमन सिंह विकास यात्रा पर हैं. 11 मई से 11 जून तक की इस यात्रा के जरिये जरिये भाजपा चौथी बार सत्ता पर काबिज होने की कोशिश करेगी. इस यात्रा के दौरान रमन सिंह ने कहा, पिछले 15 सालों में विकास हुआ है जनता के आंखों की चमक बता रही है कि विकास हुआ है. नवंबर में चुनाव के दौरान ही जनता इस विकास यात्रा की सफलता या असफलता पर मुहर लगायेगी. भारतीय जनता पार्टी लगातार मिल रही जीत से उत्साहित है. भाजपा कार्यकर्ता और रणनीतिक फैसलों को लेकर मजबूत है. दूसरी तरफ विरोधी पार्टियों में कांग्रेस और अजीत जोगी आमने सामने है. कांग्रेस अपनी सभाओं में रमन सिंह का कम अजीत जोगी पर अधिक फोकस करती है.
कौन है टक्कर में
कर्नाटक में मिली हार और जीत के बाद अब सभी पार्टियां इन राज्यों का रुख करेगी. काग्रेस अघ्यक्ष राहुल गांधी 17 और 18 मई को छत्तीसगढ़ दौरे पर पेण्ड्रा जाने वाले हैं. कांग्रेस इस बार छत्तीसगढ़ को लेकर गंभीर है. कांग्रेस पहली बार बूथ कमेटी बना रही है. शिविर लगाकर चुनावी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यहां विपक्षी पार्टियां बटी है. कांग्रेस अजीत जोगी को चुनौती मान कर चल रही है. प्रदेश में अजीत जोगी के बढ़ते प्रभाव से कांग्रेस घबराई हुई है. दूसरी तरफ बसपा ( बहुजन समाज पार्टी ) भी यहां चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. मायावती ने यूपी के पांच नेताओं को छत्तीसगढ़ में चुनावी प्रभारी बनाया है.
29 अप्रैल को अजीत जोगी का जन्मदिन था. जन्मदिन पर आयोजित भीड़ को लेकर जोगी उत्साह में हैं. जोगी ने कहा, कांग्रेस ने मेरे जन्मदिन पर आयोजित भीड़ देखकर यहां सभा करने का फैसला लिया है. जोगी ने कहा 17 मई को पेंड्रा में हमारा भी कार्यक्रम है. एक ही जगह पर दो पार्टी के नेता होंगे. कांग्रेस की चुनौती पर मरवाही विधायक अमित जोगी ने कहा कि हमारे साथ जनता का आशीर्वाद है और कोई भी आए कोई भी जाए हमको कोई फर्क नहीं पड़ता.
मध्यप्रदेश का क्या है हाल
विकास और दावे
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक सभा में दावा किया कि मध्यप्रदेश के गांव में बन रही सड़कें अमेरिका की सड़कों को फेल कर सकती है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका की यात्रा पर थे. इस दौरान भी उन्होंने यह बात दोहरायी थी. विकास के इन दावों के इतर मध्यप्रदेश के दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
उपचुनाव के नतीजों का असर संभव
अगर जीत के आकड़ों पर नजर डालें, तो मुंगावली में कांग्रेस को 70,808 और भाजपा 68,685 वोट मिले. गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस की जीत का अंतर नोटा पर पड़े वोट से भी कम था. दूसरी सीट कोलारस में कांग्रेस को 82,523 और भाजपा को 74,437 वोट मिले. यहां भी कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का अंतर 2013 के मुकाबले आधा था. कांग्रेस को भले ही इन दोनों सीटों पर जीत मिली लेकिन जीत के अंतर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह काफी कम है.
क्या है कांग्रेस का हाल
इन आकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस दोबारा खड़े होने की स्थिति में है. अपने बड़े नेता कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बना कर पार्टी ने यहां मजबूत होने की कोशिश की है. इस फैसले से पार्टी के अंदर प्रभाव पड़ा पार्टी अपना जनाधार बढ़ाने के बजाय अंदर से टूटने लगी. अंदरुनी कलह को खत्म करने और साथ आने को लेकर पार्टी कोशिश कर रही है. कमलनाथ को दिग्विजय सिंह के गुट का माना जाता है. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया की उनसे पुरानी रार रही है. संभावना है कि कांग्रेसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया को अहम जिम्मेदारी मिलेगी जबकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी आगे रखकर चुनावी जीत हासिल करने की कोशिश होगी.
राजस्थान में किसका होगा राज
किस तरफ है राजस्थान का रुख
राजस्थान की राजनीति, पार्टी की अंदरुनी कलह और नेताओं की दौड़ से पहले जरा इस फैक्ट पर नजर डालिये. राजस्थान में दो लोकसभा, एक विधानसभा और पंचायत एवं स्थानीय निकाय उप चुनाव में भाजपा की हार हुई. इस हार से मिल रहे संकतों पर नजर डालें तो भाजपा कर्नाटक की जीत से भले उत्साहित हो लेकिन यहां जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है.
भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
पार्टी दूसरे राज्यों की तरह यहां मजबूत स्थिति में नहीं है. भाजपा अपने परंपरागत वोट को हासिल करने के लिए रणनीति बना रही है. पार्टी का वोट बैंक राजपूत, वैश्य और ब्राह्मण समाज मुख्यमंत्री वंसुधरा राजे से नाराज है. कम से कम उप चुनाव के नतीजे तो यही कहते हैं. अजमेर- अलवर लोकसभा सीट और मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव के नतीजे भाजपा को कड़े फैसले लेने के संकेत दे रहे हैं. पार्टी ने नये भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के जरिये अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है जबकि एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाने पर भी विचार हो रहा है.
विपक्षी पार्टियों का हाल
राजस्थान में राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा क्षेत्रीय पार्टियों की भी नजर है. आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा ने संकेत दिये हैं कि पार्टी वहां 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दूसरी तरफ कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर कलह शुरू हो गया है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वर्तमान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट दोनों के नाम हैं. अंदरुनी कलह को समझना हो तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी के बयान को पढ़िये, जोशी ने कहा, सचिन पायलट की अगुवाई में राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा. पायलट ही राजस्थान में चार सालों से जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्हीं की अगुवाई में राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा.
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