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मोदी-शाह के नेतृत्व में भाजपा कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनी

बेंगलुरु : भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है.हालांकिवहबहुमतसे थोड़ी दूर है और यह कहना मुश्किल है कि राज्य में किसकी सरकार बनेगी.बहरहाल,कर्नाटक में अपनेबढ़े प्रभावके जरिये वह दक्षिण भारत के पांच अन्य राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु व पुड्डुचेरी में खुद के लिए राजनीतिक संभावनाएं तलाशेगी. […]

बेंगलुरु : भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है.हालांकिवहबहुमतसे थोड़ी दूर है और यह कहना मुश्किल है कि राज्य में किसकी सरकार बनेगी.बहरहाल,कर्नाटक में अपनेबढ़े प्रभावके जरिये वह दक्षिण भारत के पांच अन्य राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु व पुड्डुचेरी में खुद के लिए राजनीतिक संभावनाएं तलाशेगी. नरेंद्र मोदी-अमित शाह की अगुवाई में भाजपा की दक्षिण में यह पहलीबढ़त है. 2008 में जब भाजपा पहली बार कर्नाटक के रूप में किसी दक्षिणी राज्य को जीतने में कामयाब रही थी तब भाजपा का नेतृत्व राजनाथ सिंह के हाथों में था.

पढ़ें -कर्नाटक में भाजपा की जीत का मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ पर क्या पड़ेगा असर?

224 सदस्याें वाली कर्नाटक विधानसभाकी 222 सीटों के लिए12 मई को वोटिंग हुई. एक सीट जयनगर पर भाजपा उम्मीदवार के निधन के कारण और एक अन्य सीट राज राजेश्वरी पर वहां फर्जी वोटर कार्ड मिलने के कारण चुनाव आयोग ने वोटिंग पर फिलहाल रोक लगा दी थी. राज्य में सरकार बनाने के लिए जादुई अंक 112 है, जिसके करीब भाजपा पहुंच गयी है. कुछ सीटें अगर कम हुईं भी तो वह निर्दलीयों के जरियेउसे आसानी से हासिल कर सकती है. बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक की भाजपा सरकार के मुखिया होंगे और 17 मई को शपथ लेंगे. इससे पहले वे आज दोपहर तीन बजे हाइकमान से मिलने दिल्ली जा रहे हैं.

कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं जो राज्य का सबसे बड़ा मतदाता वर्ग हैं. लिंगायत बहुल इलाकों में भाजपा की बढ़त से यह साफ है कि येदियुरप्पा के नाम का लाभ पार्टी को हुआ है. अमित शाह की जमीनी रणनीति, बूथ प्रबंधन व राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद कर्नाटक में ही डटे रहने से भाजपा की चुनावी संभावनाओं को बल मिला.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के रण में सीधे तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लिया और सिद्धारमैया के कर्नाटक अस्मिता के सवाल पर उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही उलझा दिया. उन्होंने स्वयं को कामदार और राहुल को नामदार साबित करने का पूरा प्रयास किया, जिसका उन्हें लाभ मिला.

भाजपा ने हिंदुत्व कार्ड से परहेज नहीं किया और मोदी-शाह दोनों ने मठों का दौरा किया. शाह ने तो खुले तौर पर कहा था कि वे हर मठ जायेंगे. भाजपा ने अपने अधिक आक्रामक हिंदुत्ववादी चेहरे योगी आदित्यनाथ से खूब प्रचार करवाया. इनके अलावा, केंद्रीय मंत्रियों व भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मोर्चा संभाला.

भाजपा कर्नाटक चुनाव की जीत का मनोवैज्ञानिक लाभ नवंबर में होने जा रहे मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ चुनाव में लेने का भरपूर कोशिश करेगी. साथ ही कर्नाटक के पड़ोसी तेलंगाना व आंध्रप्रदेश में भी इसका फायदा लेने की कोशिश करेगी, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होना है.

कर्नाटक के चुनाव में इस बार बीएस येदियुरप्पा का कितना असर है?

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