नयी दिल्ली : माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा कि गोवा, मणिपुर और मेघालय में सबसे बड़ी पार्टियों को सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया गया, इसलिए इसी नियम का कर्नाटक में भी पालन किया जाना चाहिए. साथ ही, विपक्षी नेताओं ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और जद (एस) नेता एचडी देवगौड़ा को भाजपा को हराने के लिए एकजुट रहने की सलाह दी.
इस पर, पूर्व प्रधानमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी को तोड़ने के लिए भाजपा के दबाव बनाने के बावजूद वह धर्मनिरपेक्ष गठबंधन को नहीं छोड़ेंगे. येचुरी ने ट्वीट किया कि भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपालों ने गोवा, मणिपुर या मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी को आमंत्रित नहीं किया. उन्होंने कहा कि गोवा (2017) में 40 सीटों में कांग्रेस के पास 17 सीटें थी, मणिपुर (2017) में 60 सीटों में कांग्रेस के पास 28 सीटें थी, जबकि मेघालय (2018) में 60 सीटों में कांग्रेस के पास 21 सीटें थी.
इस उदाहरण का पालन किये जाने की जरूरत है. येचुरी ने कहा कि हाल ही में गोवा, मणिपुर और बिहार में जब सरकारों का गठन किया गया, तब इन्हीं नियमों का पालन किया गया. उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता अरूण जेटली के एक ट्वीट का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि खंडित जनादेश की स्थिति में बहुमत वाले गठबंधन को यह साबित करने की इजाजत देनी चाहिए कि उसके पास सरकार गठन के लिए संख्या बल है.
येचुरी ने कहा कि भाजपा चुनाव हारने और सरकारें बनाने की कला में माहिर है. यह उसका ‘ट्रेडमार्क’ या ‘यूएसपी’ बन गयी है. विपक्षी सूत्रों के मुताबिक देव गौड़ा सभी अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के संपर्क में हैं और बीती रात से ही विचारों का आदान प्रदान चल रहा.
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘हमारी देव गौड़ा और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से बात हुई है. हम जानते हैं कि भाजपा सत्ता में आने के लिए क्या-क्या करेगी. दोनों नेताओं को यह सलाह देने का फैसला किया गया कि वे भाजपा को रोकने के लिए हाथ मिलाएं.’ उन्होंने बताया कि, ‘गौड़ा ने विपक्षी पार्टियों को भरोसा दिलाया है कि जद (एस) को तोड़ने के भाजपा के दबाव के बावजूद वह धर्मनिरपेक्ष गठबंधन को नहीं छोड़ेंगे.’
हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने फूंक-फूंक कर कदम रखने का विकल्प चुना है और जद (एस) की योजना के बारे में बताने से इनकार कर दिया. कर्नाटक में गठजोड़ के काम करने को लेकर भी विपक्ष आश्वस्त है लेकिन उन्हें विधायकों की खरीद फरोख्त का डर भी सता रहा है.
भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा कि हमेशा की तरह भाजपा के हर गलत जोड़-तोड़ और विधायकों की खरीद फरोख्त करने की आशंका है. यदि चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता का यह विवेक होता तो नतीजे अलग आए होते. बहरहाल, अब सभी की नजरें राज्यपाल वजुभाई वाला पर है कि वह सरकार बनाने के लिए किसे न्योता देते हैं.